योग साधना वह ज्ञान है जो आंतरिक जगत की पहचान कराता
योग गुरु मनोज पटवर्धन के विचारः एमआइटी डब्ल्यूपीयू में १० वा अतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाया
पुणे डीएस तोमर संवाददाता: योग साधना वह ज्ञान है जो आंतरिक दुनिया की पहचान करता है. हजारो साल पहले पतंजलि ने मनुष्य के शारीरिक और मानसिक संतुलन को बनाए रखने के लिए योग दर्शन नामक पुस्तक लिखी थी. पूरी दुनिया द्वारा इसके महत्व को पहचानने के बाद आज योग १७५ देशों में किया जाता है. ऐसे विचार योग गुरू मनोज पटवर्धन ने व्यक्त किए.
एमआईटी वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी ने आयुष मंत्रालय और पतंजलि योगपीठ के सहयोग से १० वें अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर एमआईटी डब्ल्यूपीयू, कोथरूड के परिसर में एक योग महोत्सव का आयोजन किया. इस वर्ष महिला सशक्तिकरण की संकल्पना रखी गई.
इस अवसर पर योग गुरू मनोज पटवर्धन द्वारा लिखित पुस्तक प्राणायाम एक अमृतानुभव का प्रकाशन विश्वधर्मी प्रो. डॉ. विश्वनाथ दा. कराड के हाथो किया गया.
एमआईटी वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी के कार्यकारी अध्यक्ष राहुल विश्वनाथ कराड के मार्गदर्शन में यह कार्यक्रम में संपन्न हुआ. इस अवसर पर माधुरी पटवर्धन, योग गुरु मारुति पाडेकर गुरूजी, एमआईटी डब्ल्यूपीयू के कुलपति डॉ. आर.एम.चिटणीस, रजिस्ट्रार गणेश पोकले और स्कूल ऑफ पीस स्टडीज के प्रा. डॉ. मिलिंद पात्रे उपस्थित थे.
इस अवसर पर सैकड़ों शिक्षकों एवं शिक्षकेतर कर्मचारियों को योग का प्रशिक्षण एवं मार्गदर्शन दिया गया.
मनोज पटवर्धन ने कहा, योग मानवता के लिए बहुत महत्वपूर्ण है, लेकिन इसमें एकता और मानवता का अर्थ छिपा है. योग मानव जाति के लिए प्रकृति का सबसे बडा उपहार है.
प्रो.डॉ. विश्वनाथ दा. कराड ने कहा, जीवन कैसे जीना है और कैसे नहीं जीना इसका ज्ञान योग से मिलता है. इससे नम्रता और विनय की प्राप्ति होती है. शरीर के हर हिस्से को जग लगने से बेहतर है कि उसे घिसा जाए, इसके लिए रोजाना योगाभ्यास करना चाहिए. योगाभ्यास से आत्म, स्वधर्म और स्वाभिमान को जागृत किया जा सकता है. आज पूरे विश्व को शांति की आवश्यकता है और यह शांति ध्यान से ही आयेगी. इसके लिए एमआईटी में स्थापित आध्यात्मिक प्रयोगशाला को पूरी दुनिया के सामने रखना है. इसे बडा बनाएं. यह एकमात्र संगठन है जो यहां नियमित योग कक्षाएं संचालित करता है.
मारुति पाडेकर गुरूजी ने कहा कि एमआईटी में जिस तरह से अंतरराष्ट्रीय येाग दिवस मनाया जा रहा है. अब आइए इसे बडा बनाए. यह एकमात्र संगठन है जो यहां नियमित योग कक्षाएं संचालित करता है.
कुलपति डॉ. आर.एम.चिटणीस ने परिचय दिया. साथ ही विश्वनाथ कराड को अमेरिका में प्राप्त उनकी डी.लिट की डिग्री के बारे में बताया गया. मन, शरीर, आत्मा के बारे में भी चर्चा की गई.
प्रो. डॉ. शालिनी टोंपे ने सूत्रसंचालन किया. प्रो. मृण्मयी गोडबोले ने सभी का आभार माना.