मत्स्याखेट प्रतिबंधित है, फिर भी पकडी जा रही मछली और उनके बच्चे मंत्री संजय निषाद मेरी जेव में: -मत्स्य विभाग अधिकारी इटावा..
कहावत के तौर पर ,सैंया भए कोतवाल अब डर काहे का ..
शिवराज सिंह राजपूत संवाददाता
इटावा . मत्स्य विभाग उत्तर प्रदेश हो मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, बिहार या अन्य राज्य वर्षा ऋतु में मछलियों की वंशवृद्धि के उद्देश्य से उन्हें संरक्षण देने हेतु जिले के सभी जल संसाधनों में मत्स्याखेट प्रतिबंधित किया गया है। मत्स्योद्योग निगम की 1972 की धारा (2) के तहत उक्त अवधि को क्लोज सीजन घोषित करते हुए आमजन से अपेक्षा की जाती है कि इस अवधि में किसी भी प्रकार का मत्स्याखेट न करें और न ही इस कार्य में अन्य को सहयोग दें। नियमों के उल्लंघन पर एक वर्ष का कारावास या पांच हजार रूपये का जुर्माना या दोनों से दंडित किये जाने का प्रावधान है।
SDM जसवन्तनगर व सहायक निदेशक मत्स्य विभाग इटावा के अधिकारी (इंस्पेक्टर) हिमांशु यादव ओर गायत्री पाण्डेय के देखरेख में खुले आम कचौरा घाट कीरतपुर गांव के पास जमुना नदी से मछली और उनके बच्चे पकड़े जा रहे हैं।
मगर यह तीनों अधिकारी मौन धारण किये हुए हैं। इन तीनों को किसी प्रकार का डर भय नहीं है।जबकि मत्स्य विभाग इटावा के दोनों अधिकारी एक जगह पर 10 वर्षों से जमें बैठे हैं।इसी बजह ठेकेदारों के हौसले बुलंद हैं।यह अधिकारियों को सबूत भी दिखाये गये । सूचना भी दी गई फिर भी जगह से नहीं हिलते।
सहायक निदेशक मत्स्य विभाग इटावा कार्यालय के एक कर्मचारी ने अपना नाम न छापने की शर्त पर बताया है कि मत्स्य विभाग इंस्पेक्टर हिमांशु यादव और गायत्री पाण्डेय का यहां पर जलवा है। 10 वर्ष से 8 तहसील का चार्ज सभाल रहे हैं।और अच्छा खासा मलाई मार रहे हैं।
कचौरा घाट गांव कीरतपुर के पास जमुना नदी के ठेकेदारों जिला प्रशासन इटावा के अधिकारियों की मिलीभगत से चांदी ही चांदी है।जबकि सहायक निदेशक मत्स्य विभाग इटावा में 18 लोगों की जगह पर मात्र दो ही लोगों अच्छी खासी मलाई मार रहे है । विषय पर चर्चा जोर जोर से हो रहा है।
मंत्री को हम हमारी जेब में हर वक्त रखतें हैं वड़े शर्म की बात है।
कहावत है सैंया भए कोतवाल अब हमें डर काहे का
इन अधिकारियों और ठेकेदारों पर लगाम लगाकर कार्यवाही कब..?मत्स्य विभाग मंत्री संजय निषाद जबाव दें
छोटे तालाब या अन्य स्त्रोत जिनका कोई संबंध किसी नदी या नाले से नहीं है उनके लिये उक्त नियम लागू नहीं होंगे।