सीतामढ़ी

बागमती नदी का बांध क्षतिग्रस्त होने के कारण उत्पन्न बाढ़ की स्थिति से निपटने के मद्देनजर जिला प्रशासन द्वारा हर स्तर पर मुकम्मल तैयारी की गई है

 

बागमती नदी का बांध क्षतिग्रस्त होने के कारण उत्पन्न बाढ़ की स्थिति से निपटने के मद्देनजर जिला प्रशासन द्वारा हर स्तर पर मुकम्मल तैयारी की गई है

कुणाल किशोर श्रीवास्तव सीतामढ़ी 

 

बागमती नदी का बांध क्षतिग्रस्त होने के कारण उत्पन्न बाढ़ की स्थिति से निपटने के मद्देनजर जिला प्रशासन द्वारा हर स्तर पर मुकम्मल तैयारी की गई है। राहत एवं बचाव का कार्य युद्ध स्तर पर जारी है। जिला पदाधिकारी के निर्देश के आलोक में अंतर्विभागीय समन्वय के साथ राहत एवं बचाव का कार्य चल रहा है। जिलाधिकारी द्वारा लगातार इसकी मॉनिटरिंग की जा रही है।साथ ही जिलाधिकारी एवं पुलिस अधीक्षक के द्वारा लगातार क्षेत्र भ्रमण कर राहत एवं बचाव कार्यों का जायजा लिया जा रहा है एवं पदाधिकारियों को आवश्यक निर्देश दिए जा रहे हैं।

 

उक्त बात अपर समाहर्ता आपदा श्री बृजकिशोर पांडे ने समाहरणालय के विमर्श कक्ष में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में दी। उन्होंने बताया कि बेलसंड प्रखंड के 05 पंचायत गंभीर रूप से एवं शेष 05 पंचायत आंशिक रूप से तथा रुन्नीसैदपुर के 05 पंचायत गंभीर रूप से एवं शेष 12 पंचायत आंशिक रूप से प्रभावित हुए हैं। उन्होंने कहा कि 23650 लोगों को रेस्क्यू किया गया है। निष्क्रमण में एनडीआरएफ की चार टीम एवं एसडीआरएफ की 01 टीम तथा 27 नावों के माध्यम से राहत एवं बचाव कार्य किया जा रहा है।अपर समाहर्ता ने जानकारी दी कि अब तक 13190 राशन पैकेट जिसमें प्रत्येक पैकेट में चूड़ा,चीनी, चना एवं हैलोजन टैबलेट होता है वितरित किया गया है।राशन पैकेट बनाने का कार्य स्वच्छता के मानदंडों का पालन करते हुए एवं जीविका दीदियों के सहयोग से इंडोर स्टेडियम में किया जा रहा है।उन्होंने बताया कि अभी तक बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में 11260 पॉलिथीन सीट्स का वितरण किया गया है। दोनों प्रखंडों को मिलाकर 27 सामुदायिक रसोई केंद्र संचालित है जिसमें बाढ़ प्रभावित व्यक्तियों को गर्म पका भोजन दिया जा रहा है। आज के दिन कुल 12100 लोगों को सामुदायिक रसोई केंद्रों पर भोजन कराया गया है।प्रभावित क्षेत्रों में 12 मेडिकल टीम कार्य कर रही है।चुनाव एवं ब्लीचिंग पाउडर का छिड़काव किया जा रहा है। पशु चारा भी अभी तक 16 क्विंटल वितरण किया गया है। साथ ही पशु चिकित्सा केंद्र भी संचालित किए गए है। P H E D के द्वारा आवश्यकतानुसार चापाकल का अधिष्ठापन एवं अस्थाई शौचालय का निर्माण कराया जा रहा है।

 

उन्होंने बताया कि वर्तमान में जल स्तर में गिरावट हो रहा है। ढेंग एवं चंदौली में जल का स्तर खतरे के निशान से नीचे आ चुका है और अन्य स्थलों में भी जल स्तर में लगातार गिरावट हो रही है। तटबंधों पर भी चौकसी बरती जा रही है।

आवागमन भी सभी भागों में बहाल हो गया है। इस प्रकार जिले में अब बाढ़ का कोई खतरा नहीं है।

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