पूणे

युद्ध की स्थिति से निकलने विज्ञान और अध्यात्म का संयोजन जरूरी

युद्ध की स्थिति से निकलने विज्ञान और अध्यात्म का संयोजन जरूरी

वरिष्ठ वैज्ञानिक पद्मविभूषण डॉ. रघुनाथ माशेलकर के विचार

एमआईटी वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी द्वारा आयोजित विज्ञान धर्म/अध्यात्म और दर्शन की १०वीं विश्व संसद का उद्घाटन

विशाल समाचार संवाददाता सीतामढ़ी 

पुणे, : एक और जहां विश्व शांति दिवस मनाया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर कई देशों में युद्ध फैल गया है. ऐसी युद्ध जैसी स्थिति से बाहर निकलकर विश्व में शांति लानी है. इसके लिए हमें विज्ञान और अध्यात्म को जोड़ना होगा. ऐसे विचार वरिष्ठ वैज्ञानिक पद्मविभूषण डॉ. रघुनाथ माशेलकर ने व्यक्त किये.

विश्वराज बाग, लोणी कालभोर में एमआईटी वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी द्वारा आयोजित दुनिया के सबसे बडे शांति गुंबद में विज्ञान धर्म/अध्यात्म और दर्शन की १०वीं विश्व संसद के उद्घाटन मौके पर वे बतौर मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे.

इस अवसर पर वरिष्ठ कंप्यूटर विशेषज्ञ पद्मभूषण डॉ. विजय भटकर, द पावर ऑफ वर्ल्डस फाउंडेशन के संस्थापक डेबोरा सवाफ, डॉ. डेनिस कवर्ड और जैन गुरु आचार्य लोकेश मुनि मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे. कार्यक्रम की अध्यक्षता एमआईटी वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी के संस्थापक अध्यक्ष विश्वधर्मी प्रो.डॉ विश्वनाथ दा. कराड ने निभाई.

साथ ही एमआईटी डब्ल्यूपीयू के कार्यकारी अध्यक्ष राहुल विश्वनाथ कराड, एडीटी यूनिवर्सिटी के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ.मंगेश तु. कराड, डब्ल्यूपीयू के कुलपति डॉ. आर.एम.चिटणीस, संसद के मुख्य समन्वयक एवं प्र कुलपति प्रो.डॉ.मिलिंद पांडे उपस्थित थे.

डॉ. रघुनाथ माशेलकर ने कहा, विश्व शांति दिवस पर ईरान की ओर से इजराइल पर २०० मिसाइले दागी गई. दूसरी और दो देश, रूस और यूक्रेन युद्ध की स्थिति में है. ऐसे में हम विश्व शांति दिवस कैसे मना सकते है. साथ ही उच्चतर शिक्षा ने अधिक व्यावसायिक पाठ्यक्रम दिए है. इसमें विज्ञान और आध्यात्मिकता को जोड़ना कठिन हो गया है. इस प्रकार हम एक नई पीढी का निर्माण कर सकते है और वर्तमान समय में आध्यात्मिक और मानसिक शांति की आवश्यकता है.

 

डॉ विजय भटकर ने कहा, यह सवाल लगातार उठता रहा है कि क्या हम २१वीं सदी में शांति से रह सकते हैं. मौजूदा समय में मशीन और इंसान की जोडी डरावनी लगती है. इसमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उदय हुआ है. इसलिए चिंता है भविष्य में शांति के बारे में डॉ. कराड ने विश्व संसद को बताया कि इससे माध्यम से शुरू किए गए प्रयास निश्चित रूप से शांति लाने में मदद करेंगे.

प्रो. डॉ. विश्वनाथ दा. कराड ने कहा, विश्व में समय की मांग है कि शांति चाहिए. अगर हम विश्व की स्थिति को देखें तो हमें संत ज्ञानेश्वर महाराज, संत तुकाराम महाराज और महात्मा गांधी के विचारों को अमल में लाना होगा. अपने विचारों से आलंदी, अयोध्या, अजमेर इन शहरों को जोडना पडेगा. उसके लिए वर्ल्ड पीस डोम में शुरू संसद का लाभ होगा.

डेबोरा सवाफ ने कहा, शांति और एकता स्थापित करना हर किसी की जिम्मेदारी है. साथ ही स्कूलों में बच्चों को इमोशनल इंटेलिजेंस सिखाया जाना चाहिए. इसके बिना हम प्रगति नहीं कर पाएंगे. अगर इमोशनल इंटेलिजेंस तथा इमोशनल कोशिएंट जोडा जाता है तो संस्कृति, आध्यात्मिकता, विज्ञान के लिए हम निश्चित रूप से एक उत्कृष्ट युवा पीढी और वैश्विक नेता पैदा करेंगे.

डॉ. डेनिस क्वार्डा ने कहा, विज्ञान, प्रौद्योगिकी, मानवता मूल्यों और धर्म के माध्यम से दुनिया में शांति लाने की कोशिश कर रही है. युद्ध के साये में जी रहे लोगों को अब प्रौद्योगिकी और आध्यात्मिकता के माध्यम से शांति पर विचार करना चाहिए.

राहुल कराड ने कहा, हम छात्रों में नेतृत्व कौशल विकसित करना चाहते है. इसमें शैक्षणिक संस्थानों की अहम भूमिका है. हम ऐसी संसद के जरिए बुरी प्रवृत्तियों से अच्छी प्रवृत्तियों की ओर बढने का प्रयास करना चाहते है.

इसके बाद वरिष्ठ सांसद डॉ. करण सिंह और डॉ. टॉड क्रिस्टोफरसन ने वीडियो के माध्यम से शांति पर अपने विचार प्रस्तुत किए.

डॉ. आर.एम.चिटनीस ने स्वागत पर भाषण दिया.डॉ. गौतम बापट ने सूत्रसंचालन किया.

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