राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन संपन्न
रीवा : मध्यप्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण जबलपुर के निर्देशानुसार आज आयोजित राष्ट्रीय लोक अदालत का जिला एवं सत्र न्यायाधीश एवं अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण रीवा श्री अरूण कुमार सिंह ने जिला न्यायालय परिसर स्थित एडीआर भवन रीवा में दीप प्रज्जवलन कर शुभांरभ किया। उक्त अवसर पर उन्होंने ने कहा कि लोक अदालत कोई नई अवधारणा नहीं है, बल्कि प्राचीन काल से चली आ रही हमारी सामाजिक धारणा का ही भाग है। पुराने समय में पंचो के माध्यम से विवाद निपटाने की व्यवस्था थी। ग्राम के प्रतिष्ठित व्यक्तियों द्वारा चौपाल में बैठकर आपसी समझाइश से राजीनामा कराया जाता था। विवादों के त्वरित निवारण के लिये लोक अदालत एक मजबूत मंच है। लोक अदालत जैसा कि नाम से स्पष्ट है, लोगों की अदालत जहॉं विवाद के दोनों पक्षकार मिल बैठकर अपनी सहमति व राजीनामें से स्वयं अपने विवाद का समाधान करते है। पक्षकारो को इसका सीधा लाभ मिलता है और दीवानी प्रकरणों में जो कोर्ट फीस लगाई जाती हैं, वह पक्षकरों को वापस कर दी जाती हैं। प्रकरण की अपील नहीं होती और प्रकरण उसी दिन समाप्त हो जाता है। यह आयोजन राष्ट्र के विकास में एक महत्वपूर्ण कदम है। शुभारंभ अवसर पर प्रधान न्यायाधीश कुटुम्ब न्यायालय श्री वाचस्पति मिश्रा, सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण श्री विपिन कुमार लवानिया , अपर जिला न्यायाधीष श्री सुधीर सिंह राठौड़ ,मध्यप्रदेश राज्य अधिवक्ता संघ के सदस्य श्री अखंड प्रताप सिंह व जिला अधिवक्ता संघ के सचिव श्री कमलेन्द्र पाण्डेय ने भी अपने विचार व्यक्त किए।
इस अवसर पर राष्ट्रीय लोक अदालत के प्रभारी श्री उमेश पांडव विशेष न्यायाधीश, श्री गिरीश दीक्षित अपर जिला न्यायाधीश, श्री संजीव सिंघल अपर न्यायाधीश, श्री राजेन्द्र शर्मा अपर जिला न्यायाधीश, श्री नरेन्द्र कुमार गुप्ता अपर जिला न्यायाधीश, श्री मुकेश यादव अपर जिला न्यायाधीश, श्री सुबोध कुमार विश्वकर्मा अपर जिला न्यायाधीश, श्री उपेन्द्र देशवाल अपर जिला न्यायाधीश, अपर जिला न्यायाधीश श्री मुकेश यादव, श्री योगीराज पांडेय मुख्य न्यायिक दण्डाधिकारी तथा न्यायाधीशगण श्री महेन्द्र कुमार उइके, श्री शशांक सिंह, सुश्री रीतिका शर्मा, सुश्री श्वेता परते, सुश्री कंचन चौकसे, सुश्री रेशमा खातून, सुश्री ऋचा सिंह, श्री अब्दुल अजहर अंसारी, सुश्री आफरीन युसुफजई, जिला विधिक सहायता अधिकारी श्री अभय कुमार मिश्रा उपस्थित रहे।