पूणे

भारतीय संस्कृति की नींव है पारिवारिक व्यवस्था: डॉ. विश्वनाथ दा. कराड

भारतीय संस्कृति की नींव है पारिवारिक व्यवस्था: डॉ. विश्वनाथ दा. कराड

पुणे फैमिली कोर्ट लॉयर्स एसोसिएशन द्वारा ग्रंथालय का उद्घाटन, डॉ. कराड को ‘विश्वशांति व मानवता समर्पित जीवन गौरव पुरस्कार’ से सम्मानित

 

पुणे (डीएस तोमर)“भारतीय पारिवारिक व्यवस्था विश्व की सबसे श्रेष्ठ व्यवस्थाओं में से एक है। इसमें प्रेम, आदर और सहयोग का विशेष महत्व है। यह व्यक्ति को सामाजिक और भावनात्मक आधार प्रदान करती है।” यह विचार माईर्स एमआईटी विश्वशांति विश्वविद्यालय के संस्थापक अध्यक्ष प्रो. डॉ. विश्वनाथ दा. कराड ने व्यक्त किए।

 

डॉ. कराड को पुणे फैमिली कोर्ट लॉयर्स एसोसिएशन द्वारा ‘विश्वशांति व मानवता समर्पित जीवन गौरव पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया। इस अवसर पर उन्होंने अपने विचार रखते हुए कहा कि “सद्गुणों की पूजा ही सच्ची ईश्वरपूजा है, लेकिन आज देश जाति और धर्म के विवादों से जूझ रहा है। ऐसे समय में विज्ञान और अध्यात्म को जोड़कर मानव कल्याण के लिए कार्य करना आवश्यक है।”

 

इस कार्यक्रम में कोर्ट में नवआरंभित ग्रंथालय का उद्घाटन डॉ. कराड और पारिवारिक न्यायालय की प्रमुख न्यायाधीश श्रीमती मनिषा काळे के हाथों संपन्न हुआ। इस अवसर पर वरिष्ठ अधिवक्ता अंड. सुधाकर आव्हाड, एसोसिएशन अध्यक्ष अंड. गणेश कवडे, उपाध्यक्ष अंड. स्मिता देशपांडे, सचिव अंड. प्रथम भोईटे सहित कई गणमान्य उपस्थित रहे।

 

कार्यक्रम के दौरान ‘पुणे फॅमिली भूषण पुरस्कार’ से अंड. अजीत कुलकर्णी, अंड. विजया खळतकर और अंड. प्रफुल्ल भावसार को सम्मानित किया गया। दिवंगत अंड. रेखा कोल्हटकर को यह सम्मान उनके घर जाकर प्रदान किया जाएगा।

 

साथ ही डॉ. महेश थोरवे, स्मिता देशपांडे, रोहिणी पवार, वैशाली चांदे, सुधीर रेड्डी, और अन्य विशिष्ट व्यक्तियों का विशेष सत्कार भी किया गया।

न्यायाधीश मनिषा काळे ने कहा, “पारिवारिक न्यायालय ने ज्ञान के द्वार खोले हैं। ज्ञान की भूख कभी खत्म नहीं होती, इसलिए सतत अध्ययन और वाचन आवश्यक है।”

 

वरिष्ठ अधिवक्ता सुधाकर आव्हाड ने कहा, “पुस्तकें संस्कृति का सिरमौर होती हैं। वाचन संस्कृति ऋग्वेद काल से ही हमारे देश में रही है। शब्द-संपदा बढ़ाने के लिए लगातार अध्ययन करें और लेखन की आदत डालें।”

 

एसोसिएशन अध्यक्ष अंड. गणेश कवडे ने बताया कि पुणे में 1989 में फैमिली कोर्ट की स्थापना हुई थी। ग्रंथालय स्थापित करने में कई चुनौतियाँ आईं, लेकिन हाईकोर्ट की अनुमति से अत्याधुनिक ई-लाइब्रेरी की नींव रखी गई है, जो देश के लिए एक आदर्श मॉडल साबित होगी।

कार्यक्रम का संचालन अंड. कोमल देशमुख ने किया और आभार अंड. भूषण कुलकर्णी ने व्यक्त किया।

 

 

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