
मानवता शर्मसार: आम तोड़ने पर बंजारा समाज के मासूम की बर्बर हत्या, प्रशासन मौन क्यों?
इटावा(उत्तर प्रदेश) विशाल समाचार: आलमपुर सिंधावली, थाना मिरहची, जिला एटा एक मासूम की चीखें पूरे समाज और सिस्टम पर सवाल उठा रही हैं। बंजारा समाज से ताल्लुक रखने वाला महज़ आठ वर्ष का एक बच्चा, जिसकी दुनिया में न कोई अपराध था, न किसी से दुश्मनी—उसके साथ की गई बर्बरता रूह को झकझोर देने वाली है। आम तोड़ने के “अपराध” पर उस नन्हे बालक को इस हद तक प्रताड़ित किया गया कि वह किसी भी सभ्य समाज पर कलंक बन जाए।
हत्यारों ने उस मासूम की दोनों आंखें फोड़ दीं, अंडकोष काट डाले, और गला रेतकर उसकी जिंदगी छीन ली। यह कोई सामान्य हत्या नहीं है, यह मानवता का सामूहिक कत्ल है।
प्रशासन की चुप्पी और असंवेदनशीलता
सबसे गंभीर प्रश्न यह है कि प्रशासन अब तक मौन क्यों है? क्या बंजारा समाज का जीवन इस व्यवस्था के लिए कोई मायने नहीं रखता? क्या पीड़ित समाज की पीड़ा इतनी कमतर है कि कोई ठोस कार्यवाही नहीं हो रही?
ऐसे जघन्य अपराध पर यदि प्रशासन मौन रहता है तो यह चुप्पी भी अपराध बन जाती है। इंसाफ का भरोसा तब टूटता है जब पीड़ित को त्वरित न्याय की जगह टालमटोल और अनदेखी का सामना करना पड़ता है।
मानवता के पक्ष में आवाज़ उठाना गुनाह नहीं
जो लोग ऐसी घटनाओं के खिलाफ़ आवाज़ उठाते हैं, उन्हें गलत ठहराया जाता है, दबाया जाता है, या उन पर दोष मढ़ा जाता है। लेकिन प्रश्न यह है कि अगर हम अब भी चुप रहे, तो क्या अगली बार किसी और का बच्चा इस वहशीपन का शिकार नहीं बनेगा?
हम किसी का पक्ष नहीं ले रहे—हम केवल मानवता के पक्ष में हैं। आज यह आवाज़ उठाना ज़रूरी है ताकि आने वाली पीढ़ियों को यह न लगे कि इंसानियत ने घुटनों के बल झुककर अन्याय को स्वीकार कर लिया था।
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हमारी स्पष्ट मांगें:
घटना की न्यायिक जांच कराई जाए।
दोषियों को फास्ट ट्रैक कोर्ट के माध्यम से सख्त सजा दिलाई जाए।
पीड़ित परिवार को आर्थिक सहायता, सुरक्षा और पुनर्वास दिया जाए।
प्रशासनिक लापरवाही की भी जांच हो, जिनकी निष्क्रियता ने यह घटना होने दी।
अंत में…
हमें यह याद रखना चाहिए:
ये सत्ता, ये दौलत, ये पद—कुछ भी नहीं जाएगा साथ। जो जाएगा वो होगा इंसानियत के पक्ष में दिया गया एक न्यायपूर्ण और साहसी कदम।
हम भी मर जाएंगे एक दिन, लेकिन कोशिश रहेगी कि हमारी चुप्पी की वजह से कोई और मासूम न मरे।