पूणेराजनीति

गुजरात की ‘मांडलिकता’ स्वीकारने वाली महायुती सरकार की निंदा — डॉ. हुलगेश चलवादी

गुजरात की ‘मांडलिकता’ स्वीकारने वाली महायुती सरकार की निंदा — डॉ. हुलगेश चलवादी

सत्ताधारियों की दोहरी नीति निंदनीय; उपमुख्यमंत्री शिंदे को महाराष्ट्र से सार्वजनिक माफी मांगनी चाहिए

 

ब्यूरो विशाल समाचार  पुणे:

शिक्षा की नगरी पुणे में हाल ही में आयोजित एक कार्यक्रम में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की उपस्थिति में उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे द्वारा ‘जय गुजरात’ का नारा दिया जाना अत्यंत आपत्तिजनक और स्तब्ध करने वाला है। क्या सत्ताधारी महायुती सरकार ने गुजरात की मांडलिकता (आधिपत्य) स्वीकार कर ली है? — यही सवाल बहुजन समाज पार्टी के प्रदेश महासचिव एवं पश्चिम महाराष्ट्र ज़ोन के मुख्य प्रभारी डॉ. हुलगेश चलवादी ने शनिवार (5 जुलाई) को पत्रकारों से बातचीत में उठाया।

 

डॉ. चलवादी ने कहा कि ‘जय गुजरात’ का नारा लगाने वाले शिंदे को महाराष्ट्र की जनता से सार्वजनिक माफी मांगनी चाहिए। उन्होंने चेताया कि सत्ताधारियों को केवल राजनीतिक लाभ के लिए महाराष्ट्र का ‘गुजरातीकरण’ करने की कोशिश नहीं करनी चाहिए। बहुजन समाज पार्टी एक प्रगतिशील विचारधारा वाली पार्टी है, जिसका ध्येय वाक्य है — ‘सर्वजन हिताय, सर्वजन सुखाय’। परंतु दिल्ली के शासकों को खुश करने के लिए मराठी अस्मिता और राज्य की सांस्कृतिक पहचान को जिस तरह से कुचला जा रहा है, उसे बसपा कतई बर्दाश्त नहीं करेगी।

 

डॉ. चलवादी ने तीखा सवाल उठाया कि महायुती सरकार ने क्या मराठी जनमानस के स्वाभिमान को दांव पर लगा दिया है? राज्य के सत्ताधारी आखिर किसके इशारे पर बोल रहे हैं? कौन तय कर रहा है कि महाराष्ट्र की धरती पर किसका जयघोष होगा? आखिर ‘जय गुजरात’ किसके सम्मान में बोला जा रहा है?

 

उन्होंने आरोप लगाया कि सत्ताधारियों में अब स्वतंत्र निर्णय लेने की शक्ति नहीं रह गई है। वे अब दूसरे राज्य के नेताओं की कृपा पर निर्भर हैं। छत्रपति शिवाजी महाराज द्वारा स्थापित हिंदवी स्वराज्य और फुले-शाहू-आंबेडकर के प्रगतिशील महाराष्ट्र की यह परंपरा कभी नहीं रही।

 

डॉ. चलवादी ने कहा कि राज्य से नौकरियाँ और बड़े-बड़े प्रोजेक्ट लगातार गुजरात की ओर स्थानांतरित किए जा रहे हैं, और राज्य की सत्ता मौन धारण किए बैठी है। उल्टे उसी राज्य की जय-जयकार की जा रही है — यह एक प्रकार की राजनीतिक गुलामी है।

 

उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि सत्ताधारियों की यह दोहरी भूमिका केवल मराठी अस्मिता का नहीं, बल्कि राज्य के करोड़ों पीड़ितों, उपेक्षितों, वंचितों और मेहनतकशों के आत्मसम्मान का अपमान है। राज्य के शिक्षित युवाओं के हाथों से रोजगार छीने जा रहे हैं और वही सरकार ‘जय गुजरात’ के नारों में व्यस्त है, जो दिल्ली के आकाओं को प्रसन्न करने में जुटी है।

 

डॉ. चलवादी ने अंत में कहा कि उपमुख्यमंत्री शिंदे को महाराष्ट्र की जनता से सार्वजनिक रूप से माफी मांगनी चाहिए और सत्ताधारियों को चेताया कि जनता का धैर्य अब जवाब दे रहा है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button