कहीं मिलेगी प्रशंसा तो कही नाराजगी का भाव मिलेगा।
कहीं दुआ मिलेगी तो कहीं भावनाओं में दुर्भाव मिलेगा।
तू चलता चलाचल राही,
कब तक तुझे ये अभाव मिलेगा।
जैसा तेरा भाव , वैसा प्रभाव मिलेगा।
पेड़ की शाखा पर बैठा पंछी कभी भी डाल हिलने पर नहीं घबराता,
क्योंकि पंछी को डाल पर नहीं, अपने पंखो पर भरोसा करता है.
मुझमें और किस्मत में हर बार
बस यही जंग….
मैं उसके फैसलों से तंग
वो मेरे हौसले से दंग…!! :
अपनी
सुधा भदौरिया
लेखिका: विशाल समाचार
ग्वालियर मध्यप्रदेश