*अंधेरों में बैठने वालों अपनी रोशनी का इंतज़ाम ख़ुद करो..!
*कोई नहीं आएगा चिराग़ जलाने रोशन अपनी शाम खुद करो..!
*ग़म के ख़ामोश अंधेरों में बैठने से किसे ख़ुशी नसीब होती है..!
*खुशियां तलाशनी पड़ती हैं इनका का एहतमाम ख़ुद करो..!
*अंधेरों के आगोश से ख़ुदको निकाला उसे मिलता है उजाला..!
*तक़दीर के भरोसे मत बैठना उजाले का तामझाम ख़ुद करो..!
* जिसे ख़ुद पर भरोसा नहीं उसे वक्त ने सदा तो ही रुलाया है..!
* ख़ुद को साबित करना तो अपने आप का एहतराम ख़ुद करो..!
एहतमाम=प्रबंध
ताम-झाम=साज सामान
एहतराम=सम्मान
अपली विश्वासू
सुधा भदौरिया
लेखिका विशाल समाचार
ग्वालियर मध्यप्रदेश