अनुसूचित जाति एवं जनजाति के पीडि़तों को समय पर उपलब्ध करायें सहायता – कलेक्टर
अनुसूचित जाति एवं जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम की सतर्कता एवं मानीटरिंग समिति की बैठक संपन्न
रीवा एमपी (वि.स.):कलेक्टर मनोज पुष्प ने अनुसूचित जाति एवं जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम की जिला स्तरीय सतर्कता एवं मानीटरिंग समिति की अध्यक्षता करते हुए निर्देश दिये कि पीडि़तों को समय पर सहायता उपलब्ध करायें। उन्होंने कहा कि पीडि़तों, गवाहों एवं आश्रितों को यात्रा, परिवहन एवं आहार व्यय अनिवार्य रूप से दिया जाय।
कलेक्टर द्वारा की जा रही समीक्षा बैठक में जानकारी दी गयी कि हत्या के दो प्रकरणों में 16.50 लाख रूपये पीडि़त के परिवार को उपलब्ध करायें गये हैं तथा एक प्रकरण में 18 हजार रूपये मासिक निर्वाह भत्ता दिया जायेगा। जानकारी दी गयी कि शोषित महिला से विवाह करने पर 25 हजार रूपये तथा स्वरोजगार के लिए 50 हजार रूपये की सहायता दी जाती है। विधवा महिला से विवाह करने पर 25 हजार रूपये की आर्थिक सहायता का प्रावधान है। पुत्र-पुत्रियों के विवाह के लिए 25 हजार रूपये की सहायता दी जाती है।
उन्होंने जानकारी दी कि पुलिस थानों में अब तक 129 प्रकरण दर्ज किये गये हैं। इसमें से 50 प्रकरणों में चालान प्रस्तुत किया गया है। 79 प्रकरण में चालान प्रस्तुत किया जाना है। 50 प्रकरण राहत हेतु भेजे गये हैं। 79 प्रकरण राहत के लिए भेजा जाना है। बताया गया कि न्यायालय में एक अप्रैल 2021 से 28 फरवरी 2022 तक 167 प्रकरण प्रस्तुत किये गये। इसमें से एक आरोपी को सजा हुई। 8 प्रकरणों में आरोपियों को बरी किया गया। 918 प्रकरण लंबित हैं। अनुसूचित जाति के 82 प्रकरणों में 34.50 लाख रूपये राहत राशि वितरित की गयी तथा अनुसूचित जनजाति के 39 प्रकरण में 28 लाख रूपये राहत राशि वितरित की गई।
बैठक में जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी स्वप्निल वानखेड़े, अपर कलेक्टर शैलेन्द्र सिंह, जिला अभियोजन अधिकारी एसके शुक्ला, जिला संयोजक डीएस परिहार उपस्थित थे।