पूणे

ऑक्सीजन की मात्रा बढाने के लिए सभी आगे आए पाशा पटेल की अपील

ऑक्सीजन की मात्रा बढाने के लिए सभी आगे आए
पाशा पटेल की अपीलः

एमआईटी डब्ल्यूपीयू में दे दिवसीय सिटीजन क्याइमेट मेनिफेस्टो वर्कशॉप का उद्धाटन

पुणे: बढते वैश्विक तापमान के कारण भविष्य में कृषि उत्पादन मछली और दूध उत्पादन में लगभग ४० प्रतिशत की गिरावट आएगी. लेकिन बढती आबादी के परिणामों की कल्पना करना मुश्किल है. जल ही जीवन है, इस बात को ध्यान में रखते हुए देश के सभी नदियों के किनारे बांस लगाकर तापमान को नियंत्रित किया जाना चाहिए. नदी को बचाने और ऑक्सीजन की मात्रा बढाने के लिए हम सभी को मिलकर काम करना चाहिए. यह अपील महाराष्ट्र राज्य कृषि मूल्य आयोग के पूर्व अध्यक्ष पाशा पटेल ने की.
एमआईटी वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ पब्लिक पॉलिसी के सेंटर फॉर पॉलिस रिसर्च द्वारा आयोजित पुणे सिटिजन्स क्लाइमेंट मेनिफेस्टो के उद्धाटन समारोह में बतौर मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे.
इस मौके पर भारत के पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त ओम प्रकाश रावत मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे. पुणे मंडल विभाग के वन संरक्षक अधिकारी राहुल पाटिल विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित थे. साथ ही एमआईटी डब्ल्यूपीयू के कार्यकारी अध्यक्ष राहुल विश्वनाथ कराड, प्र कुलपति डॉ. मिलिंद पांडे, पुणे विश्वविद्यालय के भूगोल विभाग प्रमुख डॉ. सुधाकर परदेशी और सिडॅक की अक्षरा कागिनालकर मौजूद थी.
पाशा पटेल ने कहा, कार्बन डाइऑक्साइड के कारण ग्लोबल वार्मिंग का मुद्दा और जलवायु परिवर्तन की समस्या का हिंदू धर्म में उल्लेख किया गया है. इसलिए सभी को अधिक ऑक्सीजन छोडने वाले पेडों की संभाल करनी चाहिए. बरगद, पिंपल और बांस जैसे पेड लगाने चाहिए. प्रकृति को बचाने के लिए प्लास्टिक का इस्तेमाल बंद करे और बांस के उत्पादों का इस्तेमाल बढाना चाहिए.
ओमप्रकाश रावत ने कहा, पर्यावरण को पहुंची चोट के चलते विनाश से डरने की बजाय सभी को सुरक्षा के लिए कदम उठाना चाहिए. सामाजिक जागरूकता पैदा करके काम करें. गांवों में चुनाव के दौरान निकलने वाले पैसे का इस्तेमाल पर्यावरण संरक्षण के लिए किया जाना चाहिए.
राहुल पाटिल ने कहा, सृष्टी पर बदलते परिवेश को नियंत्रित करने के लिए लोगोंं की अधिक भागीदारी की आवश्यकता है. एक तरफ वैश्विक तापमान बढ रहा है और समुद्र का स्तर बढ रहा है. यह मानव जाति के लिए एक चेतावनी है कि हमें अपने क्षेत्र में पेड लगाना चाहिए.
राहुल विश्वनाथ कराड ने कहा, पर्यावरण हर व्यक्ति से जुडा है, लेकिन आधुनिक समय में यह कम होता दिख रहा है. डॉ. विश्वनाथ कराड पर्यावरण संरक्षण और विश्व शांति के लिए लगातार काम कर रहे है. युवाओं को अब पर्यावरण संरक्षण और औपनिवेशक मानसिकता को त्यागने पर ध्यान देना चाहिए. इंडिया को अब भारत कहा जाना चाहिए.
प्रो. गोपाल वामने ने परिचयात्मक भाषण दिया और डॉ. मिलिंद पांडे ने स्वागत पर भाषण किया.
डॉ. अनुराधा पै ने सूत्रसंचालन किया. स्कूल ऑफ पब्लिक पॉलिसी की डीन डॉ. शालिनी शर्मा ने सभी का आभार मानाा.

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button