ज्ञानात्मक, यात्रा-वृत्तांत आधारित साहित्य को पाठकों की अत्यधिक मांग
प्रो. मिलिंद जोशी की राय; मनोविकास प्रकाशन द्वारा रवि वालेकर लिखित ‘इजिप्सी’ ग्रन्थ का प्रकाशन
पुणे: “चरित्र, आत्मकथा, सूचनात्मक लेखन जैसे ज्ञानात्मक और यात्रा वृत्तांत जैसी साहित्यिक कृतियों के लिए पाठकों की बहुत मांग है। पिछले कुछ वर्षों में, मध्यम वर्ग के लोगो में भी दुनिया देखने का विचार आ रहा है। यात्रा करते समय लेखन की कला विकसित हो रही है, जो मराठी साहित्य की समृद्धि को बढ़ा रही है,” ऐसा प्रतिपादन महाराष्ट्र साहित्य परिषद के कार्याध्यक्ष एवं वरिष्ठ साहित्यकार प्रो. मिलिंद जोशी ने किया।
मनोविकास प्रकाशनद्वारा रवि वाळेकर लिखित ‘इजिप्सी : एका गूढ, अद्भुत सफर’ इस ग्रन्थ का प्रकाशन प्रो. मिलिंद जोशी ने किया। नवी पेठ में एस. एम. जोशी सभागार में आयोजित प्रकाशन समारोह में लेखिका एवं सामाजिक कार्यकर्ता दीपा देशमुख, प्रकाशक व मनोविकास प्रकाशन के प्रमुख अरविंद पाटकर, वाळेकर की पत्नी शिल्पा मौजूद रहीं। चंद्रमोहन कुलकर्णी ने मुखपृष्ठ, तथा गौरी खराडे ने ग्रन्थ का लेआउट, डिझाइन किया है।
प्रो. मिलिंद जोशी ने कहा, ”पु. ल. देशपांडे, अनिल अवचट, मीना प्रभू जैसे लेखकों ने यात्रा-वृतांत साहित्य को एक अलग पहचान दी। यह यात्रा वृतांत अपने स्थान, गति और संस्कृति के साथ मराठी साहित्य को समृद्ध करता है। रवि वालेकर इस संग्रह के विपुल लेखकों में से एक हैं। खुली आँखों से दुनिया को देखकर उनका बेहद रसीला, सहज, प्रवाहमयी, उतना ही गंभीर वर्णन पाठक को बांधे रखता है। वाळेकर का लेखन सूक्ष्म अवलोकन और बुद्धि से भरा है। यह तत्काल के बजाय दीर्घकालिक लगता है। ज्ञान की प्यास और जिज्ञासु प्रवृत्ति पैदा किए बिना ऐसा प्रभावी लेखन नहीं होता है। यह इतनी प्रभावशाली ढंग से व्यवस्थित है कि आपको इजिप्त जाना होगा और इसे अपनी आंखों से देखना होगा। ‘इजिप्सी’ के माध्यम से, वलेकर इजिप्त की संस्कृति, समाज, शहर की संरचना, विरासत स्थलों जैसी विभिन्न चीजों की यात्रा पर हमें ले जाते है, ऐसा प्रो. जोशी ने कहा।
दीपा देशमुख ने कहा, “इजिप्सी एक बहुत ही रोचक और प्रवाहमयी शैली में प्रस्तुत एक किताब है। जो लोग नियमित पाठक नहीं हैं उनके लिए भी यह पुस्तक एक सुखद पठन है। इस पुस्तक के माध्यम से वाळेकर हमें इजिप्त की यात्रा करवाते है। पुस्तक को पढ़ने के बाद, हमें लगता है कि हमें अपने जीवन में कम से कम एक बार इजिप्त की यात्रा करनी चाहिए। एक रहस्यमय और अद्भुत आविष्कार इजिप्त की ‘इजिप्सी’ पुस्तक एक महत्वपूर्ण दस्तावेज बन गई है।”
रवि वाळेकर ने कहा, “इस किताब को बनाने में लेखक, मुखपृष्ठ कलाकार, प्रकाशक इन सभी का योगदान हैं। हम सब इजिप्त के बारे में बहुत कम जानते हैं। इजिप्त जाने से पहले मकरंद अभ्यंकर से मार्गदर्शन लिया। वहा रामायण, महाभारत काल से पहले की इमारतें अभी भी अच्छी स्थिति में हैं और हम उन्हें देख सकते हैं। इजिप्त अभी भी दुनिया के लिए अज्ञात है, और जितना अधिक हम इसे सुलझाते हैं, उतना ही दिलचस्प है।”
‘इजिप्सी’ में किया हुआ लेखन कोई अतिशयोक्ति नहीं है, बल्कि साहित्य का एक ऐसा काम है जो पढ़ने की भूख पैदा करता है। ‘इजिप्सी’ पुस्तक को पाठकों का अच्छा प्रतिसाद मिलेगा ऐसी आशा परिचय में अरविंद पाटकर ने व्यक्त की। मंजिरी चौधरी-टिक्का ने सूत्रसंचालन और आभार प्रदर्शन किया।