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माईर्स एमआईटी शिक्षा संस्था समूह द्वारा जगद्गुरू संत श्री तुकाराम महाराज मंदिर निर्माण के लिए १ करोड ५० लाख का दान डॉ. विश्वनाथ दा. कराड ने बालासाहब काशीद को सौपा चेक

माईर्स एमआईटी शिक्षा संस्था समूह द्वारा जगद्गुरू संत श्री तुकाराम महाराज मंदिर निर्माण के लिए १ करोड ५० लाख का दान डॉ. विश्वनाथ दा. कराड ने बालासाहब काशीद को सौपा चेक

पुणे (वि.स.प्रतिनिधी) हमारे हाथ लेने के लिए नहीं बल्कि देने के लिए है. इस न्याय के अनुसार उदार ह्दय से सहयता करनी चाहिए. भंडारा डोंगर में बनने वाला जगद्गुरू संत श्री तुकाराम महाराज का सोने से जडा गाभारा मंदिर संपूर्ण मानव जाति और समाज उत्थान के लिए उपयोगी होगा. यह विचार माईर्स एमआईटी के संस्थापक अध्यक्ष डॉ. विश्वनाथ दा. कराड ने रखें.
माईर्स एमआईटी शिक्षा संस्था समूह की ओर से डॉ. विश्वनाथ दा कराड ने श्री विठ्टल रखुमाई तुकाराम महाराज भंडारा डोंगर ट्रस्ट के अध्यक्ष बालासाहब काशीद को १,५०,००,००० ( १ करोड ५० लाख ) का चेक सौंप. इस समय वे बोल रहे थे.
इस समय एमआईटी वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी के प्र कुलपति डॉ. मिलिंद पांडे, नागपूर विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डॉ. एस.एन.पठाण, डॉ. संजय उपाध्ये, दामोदर शिंदे, पूर्व सरपंच इंदोरी, बबनराव धोरे, अरविंद शेवकर, विष्णु खांडवे और इक्बालभाई शेख उपस्थित थे.
माईर्स एमआईटी शिक्षा संस्था समूह, पुणे की एमआईटी वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी, लोनी कालभोर की एमआईटी एडीटी यूनिवर्सिटी, उज्जैन की एमआईटी अवंतिका यूनिवर्सिटी और शिलाँग की एमआईटी यूटीएम के ५४,०००छात्रों, २५०० शिक्षकों और ३५०० गैर शिक्षण कर्मचारियों की ओर से यह मौलिक योगदान दिया है.
डॉ. विश्वनाथ दा. कराड ने कहा, इस स्वर्ण मंदिर के माध्यम से भारत की महिमा में और चार चाँद लग जाऐंगे. हमें ऐसे पवित्र स्थान की पवित्रता और उसके अद्भूत इतिहास को कर्तव्य की भावना से बचाना चाहिए. पवित्र धार्मिक तीर्थ स्थलों को ज्ञान तीर्थ के रूप में विकसित कर भंडारा डोंगर की महिमामय प्रकृति को विश्व के सामने विशेषकर युवा पीढी के सामने लाना चाहिए.
बालासाहेब काशीद ने कहा, भंडारा डोंगर में करीब १५० करोड रूपये खर्च कर मंदिर निर्माण का काम चल रहा है. एमआईटी संस्थान से मिलने वाला फंडिंग इसका बडा हिस्सा है. सृष्टि में प्रत्येक मनुष्य को शांति की आवश्यकता है लेकिन वह उपलब्ध नहीं है. लेकिन संतों की इस भूमि में हमें हमेशा आनंद और शांति मिलती है. इसी डोंगर से सारे विश्व में शांति का जयकार हो रहा है.
उसके बाद डॉ. संजय उपाध्ये ने अपने विचार साझा किए.
डॉ. मिलिंद पांडे ने संचालन एवं आभार माना.

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