पूणे

महाविद्यालय एवं वसंतराव नाईक कला एवं समाज विज्ञान संस्थान के तत्वधान में भारतीय लोकतंत्र के परिप्रेक्ष्य मे‌ मधु लिमए विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का किया गया आयोजन

महाविद्यालय एवं वसंतराव नाईक कला एवं समाज विज्ञान संस्थान के तत्वधान में भारतीय लोकतंत्र के परिप्रेक्ष्य मे‌ मधु लिमए विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का किया गया आयोजन

पुणे : हाल ही में नागपुर शहर के प्रतिष्ठित शासकीय संस्थान वसंतराव नाईक शासकीय कला एवं विज्ञान संस्थान में
डॉ राम मनोहर लोहिया अध्ययन केंद्र ,श्री बिझांणी नगर महाविद्यालय एवं वसंतराव नाईक कला एवं समाज विज्ञान संस्थान के तत्वधान में

भारतीय लोकतंत्र के परिप्रेक्ष्य मे‌ मधु लिमए

विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया था।इस कार्यक्रम संगोष्ठी में मुख्य अतिथि के रुप में प्रख्यात समाजवादी चिंतक रघु ठाकुर ,पत्रकार ,साहित्यकार प्रोफेसर जयंत सिंह तोमर एवं डॉ प्रकाश देशपांडे जी उपस्थित हुए संगोष्ठी में अलग-अलग महाविद्यालय के 20 शोधार्थियों ने अपने शोध पत्रों का वाचन किया । संगोष्ठी को दो सत्रों में विभक्त कर उसके पर्याय को समझने का प्रयास किया गया ।उद्घाटन सत्र में भारतीय लोकतंत्र और मधु लिमए पर विचार रखते हुए मुख्य वक्ता प्रोफेसर जयंत सिंह तोमर ने कहा कि संघर्ष एवं विचारधारा को जिंदा रखने का नाम मधु लिमए है मधु लिमए जी सिद्धांत एवं मूल्यों से समझौता करके राजनीति नहीं किए ।
मधु जी का सांसदीय जीवन जितना रोचक है उतना ही प्रेरणादायी भी है उनके सांसदीय जीवन से राजनीति के साथ-साथ कर्तव्य बोध का ज्ञान भी मिलता है, तोमर ने यह भी बताया कि मधु जी संगीत प्रेमी थे वह अपने राजनीतिक संघर्ष को संगीत के धुन में मिलाकर चलते थे तथा जीवन पर्यंत डॉक्टर लोहिया के सिद्धांतों से बंध कर रहे उन्होंने कभी राजनीति के विचलन से समझौता नहीं किया आज युवाओं को मधु लिमए जी को पढ़ना चाहिए उनको जानना चाहिए तथा उनके संघर्षों के इतिहास में झांक कर देखना चाहिए जिससे आज की राजनीति को समझा जा सके।
अपने अध्यक्षीय भाषण करते हुए समाजवादी चिंतक रघु ठाकुर ने कहा कि मधु लिमए जी समाजवाद का जीता जागता उदाहरण है मधु जी के संघर्षों से सीखा जा सकता है कि राजनीति का पर्याय क्या होता है?
उन्होंने कहा कि मधु जी को संसद की मर्यादा का इतना ख्याल था कि वे कभी भी अपने संसदीय कार्यकाल में सदन का बहिष्कार नहीं किए और संसद मे जब भी कोई सवाल उठाते थे तो उसे हल करा कर के ही रहते थे उसे बिना हल कर आए नहीं रुकते थे तथा संसदीय पटल पर लगातार सवाल उठाते रहते थे मधु जी के तर्क और संसदीय ज्ञान को लोकसभा के अध्यक्ष भी नहीं काट सकते थे मधु जी के जीवन कर्म को विस्तार से रखते हुए कहा कि उनका संपूर्ण जीवन सादगी से भरा रहा उन्होंने कभी भी अपने जीवन में वातानुकूलित संसाधनों का उपयोग नहीं किया उनका समय लिखने और पढ़ने में जाता था , संसद सदस्य रहने के बावजूद कभी भी पेंशन नहीं ली है और ना ही सरकारी सुविधाओं का लाभ उठाएं गोवा मुक्ति संग्राम के संघर्ष को याद करते हुए रघु ठाकुर ने कहा कि जब वह गोवा के सीमा में प्रवेश किए तो पुलिस द्वारा उन्हें इस प्रकार से पीटा गया कि देखने वालों ने कहा कि मधु लिमए का अव जीना मुश्किल लग रहा था।
कुछ लोग चंपा जी के पास अपनी शोक संवेदना व्यक्त करने चले गए लेकिन बहुत दिनों बाद पता चला कि मधु जी अभी जिंदा है। उन्होंने कहा कि मधु जी कार्यकर्ताओं का ध्यान सदैव रखते थे अपने आपातकाल की जेल की एक घटना को याद करते हुए रघु ठाकुर ने कहा कि 1974 में जब मैं इंदौर जेल से मधु जी जी को एक पत्र लिखा तो उन्होंने उस पत्र को पढ़कर उन्होंने उस मामले को संसद में उठाए और उस समस्या का हल निकलवाये। और उससे कम से कम 50 लोगों को फायदा हुआ एक स्मरण को याद करते हैं उन्होंने कहा कि आपातकाल के दौरान जब संसद की अवधि बढ़ाई गई तो मधु लिमए जी उसका विरोध करते हुए संसद की सदस्यता से त्यागपत्र दे दिया था तथा अपनी पत्नी से मकान खाली करवाए ।उन्होंने यह भी कहा कि मधु जी का यह संघर्ष ही था कि महाराष्ट्र के होने के बाद भी बिहार से चार बार सांसद चुनकर आए आज के नेताओं के राजनीतिक चाल चरित्र को देखते हुए रघु ठाकुर जी ने मधु लिमए को याद करते हुए कहा की मधु जी सिद्धांत की रेखा खींचकर राजनीत करते थे लोकतंत्र को मजबूत बनाना चाहते थे जो नैतिकता की कसौटी पर भरी होती थी मधु जी सदैव एक बराबरी के समाज का निर्माण करना चाहते थे परंतु आज के नेता सदन में पहुंचकर के संपत्ति बढ़ाने का प्रयास करते हैं आम जनता के लिए काम नहीं करते हैं और इसी के कारण वह आज ईडी सीबीआई और आईटी से भयभीत हो करके अपना जीवन यापन कर रहे हैं। जबकि आज के दौर में अगर मधु लिमए जी होते तो नैतिकता की रेखा खींचते ।
और नेताओं अपने संवैधानिक दायित्वों का बोध कराते रघु जी ने यह भी कहा कि मधु जी का जीवन हम सभी के लिए प्रेरणादाई है ।और उनको पर ना उनको समझना उनको जानना युवाओं और आने वाले भारत के लिए लाभदायक होगा,।
वर्तमान में बढ़ती हुई महंगाई के सवाल को उठाते हुए रघु ठाकुर ने कहा कि अगर इस समस्या का समाधान करना है तो हम सभी को डॉक्टर लोहिया के दाम बांधों नीति , खर्च की सीमा,आय की सीमा तय करने हेतु सरकार पर दबाव बनाना होगा कि दाम बाधो नीति को कड़ाई से लागू करो ।इस उद्घाटन समारोह में मोहित शाह हरीश राठी ने भी अपने विचार व्यक्त किए साथ ही वसंतराव नाईक कला एवं विज्ञान संस्थान के निर्देशिका डॉ साधना मैडम ने भी अपना विचार व्यक्त करते हुए कहा कि संगोष्ठी हम सभी के लिए लाभदायक और प्रेरणादायी है जिससे कि हम लोग समाजवाद को समझ सकते हैं समाजवाद के नीतियों को समझ सकते हैं और उसे अपने जीवन में उतार सकते हैं
संगोष्ठी में डॉ संदीप तुडुरवार‌, डॉ राहुल बावघे सुनील पाटिल जी ने भी अपने विचार व्यक्त किए तथा प्रथम सत्र का आभार प्रदर्शन डॉ अनूप कुमार सिंह द्वारा एवं संचालन डॉक्टर रेनू बाली द्वारा किया गया।।
संगोष्ठी के प्रथम तकनीकी सत्र की अध्यक्षता बिंझानी नगर महाविद्यालय के प्राचार्य सुमित मेत्रे जी द्वारा किया गया जिसमें मुख्य वक्ता डॉक्टर विकास पांडे जी ने कहा कि वर्तमान दौर की राजनीति को दिशा देना है तो देश के मतदाताओं को मधु लिमए राम मनोहर लोहिया और जयप्रकाश नारायण के रास्ते पर लौटना होगा संघर्ष के रास्ते को पकड़ना होगा और अपने को सत्ता से दूर रखने की कोशिश करनी होगी क्योंकि सत्ता के साथ रहकर मजबूत लोकतंत्र की स्थापना नहीं की जा सकती संसद सदस्यों को चाहिए की जनता उन्हें जिस कर्तव्य बोध के लिए चुनकर भेजी है उसका परिपालन करें एवं सदन को केवल वेतन भत्ता का स्थान न समझ कर भारत में बदलाव का स्थान समझे क्योंकि भारत की व्यवस्था में जो बदलाव होगा वह देश की संसद और राज्यों के विधान सभाओं के द्वारा ही होगा आज के चुने हुए नेता नौकरशाही के गुलाम बन रहे हैं उसके पिछलग्गू बन रहे हैं जिसका परिणाम है की नौकरशाही ईडी और सीडी, का लाभ उठाकर नेता को दबाने का प्रयास कर रही है।
संगोष्ठी में अनेकों महाविद्यालय के प्राध्यापक बंधुओं ने हिस्सेदारी की तथा अलग-अलग चर्चा सत्र में अपनी बात को रखें जिसमें मुख्य रुप से डॉक्टर नंदा जी सातपुते डॉ संजय गोरे, डॉक्टर संदीप काले डॉक्टर सिद्की आदि ने हिस्सेदारी की अंत के सत्र में डॉक्टर ओम प्रकाश मिश्रा जी द्वारा मधु लिमए के संपूर्ण जीवन पर प्रकाश डाला गया एवं संचालिका साधना मैडम द्वारा संगोष्ठी से प्राप्त विचार और ज्ञान को विद्यार्थियों के सामने रखी एवं अंत में डॉ राहुल बावगे तथा डॉक्टर संदीप तुदूरवार जी द्वारा सभी का आभार व्यक्त किया ।

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