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बुद्धिमत्ता, नवाचार और कड़ी मेहनत से भारत विश्व गुरू बनेगा

बुद्धिमत्ता, नवाचार और कड़ी मेहनत से भारत विश्व गुरू बनेगा
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिडला के विचार
विश्वकर्मा के नाम पर डब्ल्यूपीयू स्कूल ऑफ डिझाईन के नए भवन का उद्घाटन

पुणे: युवाओं की बुध्दिमत्ता, नवाचार, अनुसंधान, आत्मविश्वास, जुनून, कड़ी मेहनत भारत को विश्व गुरू बनाएगा. देश के युवा आर्थिक और सामाजिक रुप से अपना योगदान दे रहे है. युवा शक्ति से हर जगह एक महान क्रांति हुई है. इसमें तकनीकी, आध्यात्मिक, सामाजिक या वैज्ञानिक क्रांति में शामिल है. ऐसे विचार लोकसभा अध्यक्ष ओम बिडला ने व्यक्त किए.
एमआईटी वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी द्वारा कोथरुड में विश्वकर्मा के नाम पर डब्ल्यूपीयू स्कूल ऑफ डिजाइन बिल्डिंग के उद्घाटन के अवसर बतौर मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे. कार्यक्रम की अध्यक्षता माईर्स एमआईटी डब्ल्यूपीयू के संस्थापक अध्यक्ष प्रो. डॉ. विश्वनाथ दा. कराड ने निभाई.
यहां पर सांसद श्रीनिवास पाटिल और एशियन हेरिटेज फाउंडेशन के प्रमुख पद्मभूषण राजीव सेठी सम्मानित अतिथि थे. साथ ही एमआईटी वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी के कार्यकारी अध्यक्ष राहुल विश्वनाथ कराड, माईर्स के संस्थापक ट्रस्टी प्रो. प्रकाश जोशी, माईर्स प्रबंध समिति के अध्यक्ष प्रो.डॉ. मंगेश तु. कराड, एमआईटी की कार्यकारी निदेशक प्रो. स्वाति कराड चाटे, डब्ल्यूपीयू के कुलपति डॉ. आर.एम.चिटणीस, प्र. कुलपति डॉ. मिलिंद पांडे, डॉ. तपन पांडा और डॉ.गुरूप्रसाद राव मौजूद थे.
ओम बिडला ने कहा, आज नेतृत्व, लोकतंत्र और शासन पर ज्यादा जोर है. नेतृत्व राजनीति तक ही सीमित नहीं है बल्कि हर क्षेत्र में होना चाहिए. सभी को अपने अपने क्षेत्र में नेतृत्व करना चाहिए और प्रभावी नेतृत्व गुणों का विकास करना चाहिए. शासन में नेतृत्व मजबूत होगा तो हर जगह जवाबदेही और पारदर्शिता मजबूत होगी.
आगे उन्होंने कहा, जहां शांति होती है वहां कार्य अधिक प्रभावी ढंग से और आत्मविश्वास से किया जाता है. वसुधैव कुटुम्बकम की अवधारणा में विश्वास करनेवाला भारत दुनिया के सामने आनेवाली किसी भी चुनौती का सामाधान खोजने के लिए सक्रियता से प्रयास करता रहा है. हाल ही में कोविड १९ महामारी से एक उदाहरण लिया जा सकता है. अब हमें शोध के क्षेत्र में आगे बढ़कर भारत को शोध का केंद्र बनाने की दिशा में काम करना चाहिए. भविष्य में हर नवाचार अब भारत में पैदा होना चाहिए.
राजीव सेठी ने कहा, भारतीय डिजाइन तकनीकों और प्राचीन प्रगति के बारे में और अधिक समझने की आवश्यकता है. साथ ही कला के प्रति एक नए दृष्टिकोण को समझना चाहिए. डिजाइन की आज की अवधारणा केवल संरचना, कला या संगीत नहीं है, बल्कि यह इन सभी तत्वों की एक विधि है. हमें सामाजिक मानसिकता के रूप में डिजाइन को बढावा देने की जरूरत है. शिक्षा भारतीय संस्कृति की देन है. डिजाइन का हर क्षेत्र में महत्वपूर्ण स्थान है और डिजाइन कोई बाहरी स्थिति नहीं बल्कि एक महान कला है जो भीतर से आती है. डिजाइन को एक सामूहिक यात्रा बनाना है.
प्रो.डॉ. विश्वनाथ दा. कराड ने कहा, हर किसी को अपने जीवन की रुपरेखा खोजने का प्रयास करना चाहिए. भारतीय दर्शन, तकनीक और संस्कृति का अध्ययन कर जीवन में उतारना चाहिए. एक बार जब आप जीवन की संरचन को समझ जाते है, तो आप स्वयं को सकारात्मक तरीके से बना सकते है. भारतीय संस्कृति, परंपरा और दर्शन का डिजाइन से गहरा संबंध है. इसलिए हर किसी को अपने जीवन में डिजाइन तलाशने की कोशिश करनी चाहिए. जो आपके जीवन को समृध्द करेगा. विश्व में शांति स्थापित करने में भारत की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण होगी.
राहुल विश्वनाथ कराड ने कहा, भारतीय डिजाइन और परंपरा को दुनिया के सामने लाने की दिशा में सभी को काम करना है. इसी सोच के साथ काम करते हुए डॉ. विश्वनाथ कराड ने दुनिया का सबसे बेहतरीन गुंबद बनाया है. जिन ५४ लोगों के सिध्दांतों पर यह सोसायटी चलती है, उनकी मूर्तियां लगाई गई हैं, वर्तमान समय में सभी को औपनिवेशिक मानसिकता को बदलने के लिए कदम उठाने चाहिए और इंडिया को भारत कहना चाहिए.
डॉ. आर.एम.चिटणीस ने स्वागत पर भाषण दिया.
प्रो.डॉ. गौतम बापट ने सूत्रसंचालन किया. डॉ. गुरू प्रसाद राव ने आभार माना.

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