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अभिनव, कलात्मक व शाश्वत विकास पर काम करे शेखर गायकवाड का मत; ‘शाश्वत विकास की १७ लक्ष्य’ अवधारणा पर ‘ऑरा २०२३’ प्रदर्शनी

अभिनव, कलात्मक व शाश्वत विकास पर काम करे शेखर गायकवाड का मत; ‘शाश्वत विकास की १७ लक्ष्य’ अवधारणा पर ‘ऑरा २०२३’ प्रदर्शनी

‘सूर्यदत्त’ संचालित पुणे इन्स्टिट्यूट ऑफ अप्लाइड टेक्नॉलॉजी द्वारा तीन दिवसीय प्रदर्शनी

पुणे : “कलाकारो की कलाकृती को प्रोत्साहन व उन्हें अच्छा मोल मिला, तो वे और अच्छी कलाकृति निर्माण कर सकते है. कॉलेज जीवन में छात्रों को अप्रेंटिस या स्टायपेंड के रूप में प्रात्यक्षिक अनुभव लेने का अवसर देना चाहिए. छात्रों ने अपने आसपास की हर चीज को जानकर अभिनव, कलात्मक व शाश्वत विकास की कल्पनाओ पर काम करे,” ऐसा मत राज्य के साखर आयुक्त शेखर गायकवाड ने व्यक्त किया.

छात्रों की प्रतिभा को गुंजाइश देना और उनके द्वारा वर्ष भर किए गए कार्यों की सराहना करने के उद्देश्य से सूर्यदत्त एजुकेशन फाउंडेशन द्वारा संचालित पुणे इंस्टीट्यूट ऑफ एप्लाइड टेक्नोलॉजी (इंस्टीट्यूट ऑफ डिजाइन-पीआईएटी) द्वारा आयोजित ‘ऑरा 2023′ सजावट प्रदर्शनी के उद्घाटन के अवसर पर शेखर गायकवाड बोल रहे थे। प्रदर्शनी का यह 17वां साल है और इस साल प्रदर्शन ’17 सतत विकास लक्ष्यों’ की अवधारणा पर आयोजित की जा रही है। इस प्रदर्शनी की खासियत यह है कि ये सभी चीजें वेस्ट मटेरियल से बनाई गई हैं।

इस अवसर पर महाराष्ट्र स्टेट बोर्ड ऑफ टेक्निकल एजुकेशन के उप सचिव मोहम्मद शाहिद उस्मानी, वरिष्ठ शिक्षाविद डॉ. सुभाष पवार, सूर्यदत्त एजुकेशन फाउंडेशन के संस्थापक अध्यक्ष प्रो. डॉ संजय बी. चोरडिया, उपाध्यक्ष व सचिव सुषमा चोरडिया, एसोसिएट वाइस प्रेसिडेंट स्नेहल नवलखा, उद्यमी कल्याण तावरे, आध्यात्मिक सलाहकार विद्यावाचस्पति विद्यानंद, पीआईएटी के प्राचार्य प्रो. अजीत शिंदे सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। गायकवाड़ ने कहा कि ‘सूर्यदत’ के छात्र शुगर कॉम्प्लेक्स में बन रहे संग्रहालय के कार्य में शामिल होंगे.

सदाशिव पेठ स्थित ‘पीआईएटी’ संस्थान के परिसर में 3 मार्च तक सुबह 10.00 बजे से शाम 6.00 बजे तक प्रदर्शनी सभी के लिए निःशुल्क खुली रहेगी। छात्रों द्वारा पाठ्यचर्या के अंग के रूप में किए गए कार्य के साथ-साथ गृह सज्जा की वस्तुएं, अधोसंरचना, नवीनतम तकनीक का उपयोग, प्लास्टिक मुक्त पर्यावरण, सुंदर शहर, हरा-भरा शहर, ऊर्जा के विकल्प, आपदा प्रबंधन आदि को मूर्तिकला और हस्तशिल्प के माध्यम से दर्शाया गया है।

शेखर गायकवाड़ ने कहा, “समाज में कला क्षेत्र की अच्छे से जानकारी नहीं है। कला को गुंजाइश और समर्थन दिया जाना चाहिए। कौशल विकास कार्यक्रम में ऐसे पेशेवर पाठ्यक्रमों को शामिल किया जाना चाहिए। रचनात्मकता का भुगतान किया जाना चाहिए, भावना को विकसित किया जाना चाहिए। छात्रों को सिखाया जाना चाहिए। पढ़ाई के दौरान कमाई करने की आदत होती है। साथ ही आपको किसी क्षेत्र में करियर बनाते समय अपना बी प्लान तैयार रखना चाहिए।’

मोहम्मद शाहिद उस्मानी ने कहा, “इस पाठ्यक्रम का अध्ययन करते समय तकनीकी पहलुओं पर जोर दिया जाना चाहिए। समाज को वास्तव में क्या चाहिए, इसके बारे में सोचकर हमें नवीन, रचनात्मक डिजाइन बनाने में सक्षम होना चाहिए। व्यावहारिक अनुभव को पाठ्यक्रम के साथ प्राथमिकता दी जानी चाहिए। समूह परामर्श शुरू कर के उसे पैसा कमा सकते हो.”

प्रो डॉ संजय चोरडिया ने कहा, “बच्चों से भरी यह प्रदर्शनी बहुत ही खूबसूरत है। इसके लिए उन्होंने जो मेहनत की है, वह दर्शनीय है। पाठ्यक्रम पढ़ाने के साथ-साथ उन्हें बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए आत्मनिर्भरता और व्यावहारिक अनुभव लेने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। पिछले 17 वर्षों से बच्चों की पहल और रचनात्मकता के कारण यह प्रदर्शनी लोगों के बीच लोकप्रिय हो रही है। इससे बच्चों की प्लेसमेंट होती है।”

डॉ। सुभाष पवार ने कहा, “लगातार नई-नई चीजें सीखनी और आत्मसात करनी चाहिए। अगर किसी क्षेत्र में सफल होना है तो उस क्षेत्र में गहरा ज्ञान हासिल करना चाहिए। अपने काम को बेहतर और दूसरों से अलग बनाने पर जोर देना चाहिए। कला अच्छी है, लोगों की प्रतिक्रिया भी उतनी ही अच्छी है।”

कल्याण तावरे, विद्यावाचस्पती विद्यानंद ने भी छात्रों के कार्य की सराहना की. प्रा. अजित शिंदे ने प्रास्ताविकात में प्रदर्शन के बारे में जानकारी दी. मानवी जैन, आयुष पोकर्णा ने सूत्रसंचालन किया. दीपिका पटेलने आभार ज्ञापित किए. प्रदर्शनी के यशस्वी आयोजन में पल्लवी पुरंदरे, अनिकेत नाईकरे, अमित जगदाळे ने योगदान दिया.

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