नवरात्रि में ब्रह्माणी देवी पर भारी मेला देश प्रदेश से आते हैं श्रद्धालु,चढ़ते हैं सैकडो ध्वजा
इटावा से शिवराज सिंह राजपूत की रिपोर्ट
इटावा यूपी: प्राचीन ब्रह्माणी देवी मंदिर पर नवरात्रि के दूसरे दिन मां के द्वितीय स्वरूप मां ब्रह्माचारिणी की पूजा- अर्चना की जाती है। मां ब्रह्मचारिणी दुष्टों को सन्मार्ग दिखाने वाली हैं। माता की भक्ति से व्यक्ति में तप की शक्ति, त्याग, सदाचार, संयम और वैराग्य जैसे गुणों में वृद्धि होती है। 22 मार्च दिन बुधवार से नवरात्रि की शुरुआत हो चुकी है। माता के भक्त 9 दिन तक देवी की पूजा-पाठ, मंत्र जाप और साधना कर उन्हें प्रसन्न करते हैं। नवरात्रि के दूसरे दिन यानी कि चैत्र माह के शुक्ल पक्ष के रेवती नक्षत्र दिन गुरुवार को द्वितीया तिथि पर मां दुर्गा के दूसरे स्वरूप मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है। देवी ब्रह्मचारिणी तप, संयम और त्याग का प्रतीक हैं।
चैत्र नवरात्रि का दूसरा दिन मां दुर्गा की दूसरी शक्ति मां ब्रह्मचारिणी को समर्पित है।द्वितीया को माँ ब्रह्माचारिणी की पूजा होगी मां ब्रह्मचारिणी की पूजा से संयम और त्याग की भावना जागृत होती है, जो लक्ष्य प्राप्ति के लिए बहुत महत्वपूर्ण है,हजारों वर्षों तक अपनी कठिन तपस्या के कारण ही इनका नाम तपश्चारिणी या ब्रह्मचारिणी पड़ा,मां ब्रह्मचारिणी ने कई वर्षों तक निराहार रहकर और अत्यन्त कठिन तप से महादेव को प्रसन्न कर लिया। चैत्र नवरात्रि के दूसरे दिन पीले या सफेद वस्त्र पहनकर देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा करनी चाहिए चूँकि ये तपस्या की देवी है और तपस्वी अधिकतर सफेद या पीला वस्त्र धारण करते हैं,वैसे माता रानी का प्रिय रंग लाल है लेकिन इस दिन देवी को सफेद वस्तुएं अर्पित करने से भाग्य चमक उठता है,माता को शक्कर या पंचामृत का भोग लगाएं और ऊं ऐं नम: मंत्र का 108 बार जाप करें. ध्यान रहे मां ब्रह्मचारिणी की पूजा निराहर रहकर की जाती है तभी पूजा का फल मिलता है कहते हैं नवरात्रि के दूसरे दिन इस विधि से पूजा करने पर जीवन के कठिन संघर्षों में भी व्यक्ति अपने कर्तव्य से विचलित नहीं होता और सफलता प्राप्त करता है।
*नवरात्रि के दूसरे दिन करें ये उपाय*
चैत्र नवरात्रि के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि के दिन माता को चांदी की वस्तु अर्पित करें, साथ ही इस दिन शिक्षा और ज्ञान की प्राप्ति के लिए मां सरस्वती की उपासना करें। मान्यता है इससे बौद्धिक विकास होता है और करियर में किसी तरह की बाधाएं नहीं आती इनकी कृपा से भक्तों को सर्वत्र विजय की प्राप्ति होती है।