Educationपूणे

ऑस्टियोपॅथी तज्ज्ञ, आयुर्वेद रत्न डॉ. गोवर्धनलाल पाराशर एक जादूगार सचिन इटकर की भावना

ऑस्टियोपॅथी तज्ज्ञ, आयुर्वेद रत्न डॉ. गोवर्धनलाल पाराशर एक जादूगार
सचिन इटकर की भावना; डॉ. गोवर्धनलाल पाराशर को सूर्यदत्त इन्स्टिट्यूट ऑफ हेल्थ सायन्सेस द्वारा श्रद्धांजली अर्पण
 
डॉक्टर की पढाई करनेवाले छात्रों के लिए डॉ पाराशर आदर्श वस्तुपाठ
प्रा. डॉ. संजय बी. चोरडिया की भावना; डॉ. गोवर्धनलाल पाराशर यांना सूर्यदत्त इन्स्टिट्यूट ऑफ हेल्थ सायन्सेस द्वारा श्रद्धांजली अर्पण

पुणे : ऑस्टियोपॅथी तज्ज्ञ, आयुर्वेद रत्न डॉ. गोवर्धनलाल पाराशर (जोधपूर राजस्थान) का हाल ही में निधन हुआ. सूर्यदत्त एज्युकेशन फाउंडेशन संचालित इन्स्टिट्यूट ऑफ हेल्थ सायन्सेस द्वारा उनको श्रद्धांजलि अर्पण करने के लिए शोकसभा आयोजित की गई थी. स्ट्रॅटेजिक फोरसाईट कंपनी के संचालक सचिन इटकर, सूर्यदत्त एज्युकेशन फाउंडेशन के संस्थापक अध्यक्ष प्रा. डॉ. संजय बी. चोरडिया, उपाध्यक्षा सुषमा चोरडिया, प्राचार्य डॉ. सीमी रेठरेकर ने डॉ. गोवर्धनलाल पाराशर की प्रतिमा अभिवादन कर कर उनकी यादों का स्मरण किया.

सचिन इटकर ने कहा “डॉ. गोवर्धनलाल पाराशर श्री संवरलाल ऑस्टियोपॅथी चॅरिटेबल संस्थान के अध्यक्ष थे. जोधपूर, राजस्थान स्थित वे एक जादूगार व्यक्ति थे. इटलीमध्ये उन्होंने ऑस्टियोपॅथी में पीएचडी  की पदवी हासिल की. गोल्ड मेडलिस्ट डॉ. पाराशर को आयुर्वेद रत्न पदवी बहाल की गई थी. उन्होंने अनेक लोगों को निरोगी बनाया. ऑस्टियोपैथी को वैकल्पिक थेरेपी के रूप में उन्होंने विश्व भर में लोकप्रिय बनाया था. कई कलाकार, क्रिकेटर्स, राजनीतिक नेता और अन्य लोगों ने उनसे इलाज करवाया था.वरिष्ठ पत्रकार मधुकर भावे के कारन महाराष्ट्र को डॉ. गोवर्धन लाल पाराशर की पहचान हुई थी.”

प्रा. डॉ. संजय बी. चोरडिया ने बताया कि, मुंबई में हुए एक कार्यक्रम में सूर्यदत्त द्वारा उन्हें सम्मानित किया था. तभी हमने उन्हें पुणे कैम्पस में आने के लिए न्योता दिया था. उसके दो महीने बाद ही हमारे सूर्यदत्त में ऑस्टिओपॅथी का शिविर लिया. चालीस से भी अधिक साल उन्होंने मरीजों की सेवा की. लगभग २४०० शिविर उन्होंने पूरे विश्व भर में लिए. स्लिप डिस्क जैसे बीमारी से पीड़ित लोगो उन्होंने पुनः चलने का अवसर दिया. एक कुशल ऑस्टियोपैथी के रूप में उन्होंने अपने अनुभव व उंगलियों के स्पर्श अनेको को ठीक किया. उनका आकस्मिक जाना हम सबके लिए हानिकारक है. वे नई पीढ़ी के डॉक्टर बनाने वाले छात्रों के लिए एक आदर्श वास्तुपाठ थे.”

डॉ. सीमी रेठरेकर ने प्रास्ताविक किया.  कॉलेज के शुरुआती दौर में छात्रों को उनके साथ मिलने और उनसे मार्गदर्शन लेने का अवसर मिला था, ऐसी उन्होंने बताई.

 

सूर्यदत्त धन्वंतरी पुरस्कार से सम्मानित
‘सूर्यदत्त’ के बावधन कैम्पस में ऑस्टिओपथी शिविर के दरम्यान उन्हें सूर्यदत्त धन्वन्तरी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. इस शिविर में महाराष्ट्र, कर्नाटक, गुजरात राज्य से लोग आए थे. ३०० से अधिक लोगो डॉ. पाराशर के हाथो अपना इलाज करवाया था. स्ट्रेचर पर आए मरीज अपने पैरो पर चल के गए यह हमने देखा है. सूर्यदत्त और श्री सांवरलाल ओस्टियोपेथी चैरिटेबल संस्थान, जोधपुर के बीच सामंजस्य करार किया गया था, ऐसा प्रा. डॉ. संजय बी. चोरडिया ने बताया

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button