ह्यूंडई मोटर इंडिया फाउंडेशन ने कला के क्षेत्र में अपनी पहल के माध्यम से 25,000 से अधिक कलाकारों का किया सहयोग: किया 5.8 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश
पुणे: ह्यूंडई मोटर इंडिया लिमिटेड (एचएमआईएल) की परोपकारी शाखा ह्यूंडई मोटर इंडिया फाउंडेशन (एचएमआईएफ) ने आर्ट फॉर होप और आर्टिसन फेस्ट सहित अपने समग्र आर्ट प्रोग्राम्स के माध्यम से भारत के विविध कलाकारों को ऐसा कॉमन प्लेटफॉर्म प्रदान किया है, जहां क्षेत्रीय कला के विभिन्न रूप देखने को मिलते हैं। एचएमआईएफ ने बताया है कि उसके विभिन्न आर्ट प्रोजेक्ट्स ने 5.8 करोड़ रुपये से अधिक के निवेश के माध्यम से भारत के 27 राज्यों में 25,000 से अधिक कलाकारों एवं कला समूहों के जीवन को प्रभावित किया है। एचएमआईएफ के प्रमुख प्रोजेक्ट आर्ट फॉर होप ने 100 से अधिक लाभार्थियों को 1.05 करोड़ रुपये का कुल अनुदान भी प्रदान किया है।
एचएमआईएफ के आर्ट प्रोग्राम्स के प्रभाव के बारे में बताते हुए ह्यूंडई मोटर इंडिया लिमिटेड के एवीपी एवं वर्टिकल हेड, कॉर्पोरेट अफेयर्स श्री पुनीत आनंद ने कहा, ‘ह्यूंडई भारत के समग्र विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए प्रतिबद्ध है। ह्यूंडई की ग्लोबल सीएसआर फिलॉसफी ‘कॉन्टिन्यू’ के तहत हम ‘अर्थ’, ‘मोबिलिटी’ एवं ‘होप’ के स्तंभों के तहत विभिन्न पहल के माध्यम से समाज को सहयोग कर रहे हैं। हमारे डेडिकेटेड आर्ट प्रोग्राम्स राष्ट्रीय कला के क्षेत्र में समग्र परिवर्तन लाने वाले रहे हैं। हम भाग्यशाली हैं कि आर्ट फॉर होप और आर्टिसन फेस्ट सहित हमारे आर्ट प्रोग्राम्स के माध्यम से हम 25,000 से अधिक कलाकारों तक पहुंचने में सक्षम हुए हैं। भारतीय कलाकारों के प्रति हमारा समर्पण अटूट है। ह्यूंडई मोटर इंडिया फाउंडेशन ने अब तक भारत के खोए हुए कला-रूपों (आर्ट फॉर्म्स) को पुनर्जीवित करने के लिए 5.8 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश किया है।’
श्री पुनीत ने आगे कहा, ‘एचएमआईएफ के प्रमुख आर्ट सीएसआर प्रोग्राम आर्ट फॉर होप ने 100 से अधिक कलाकारों एवं कला समूहों को 1.05 करोड़ रुपये का अनुदान प्रदान किया है। आर्ट फॉर होप प्रोग्राम ने भारत के विविध आर्ट क्रिएटर्स के लिए ‘प्रोग्रेस फॉर ह्यूमैनिटी’ के सफर पर बढ़ने की राह बनाने के साथ सकारात्मकता और विकास को प्रेरित किया है। यह समावेशी कार्यक्रम विभिन्न क्षेत्रों के ऐसे कलाकारों के लिए एक महत्वपूर्ण प्रमोटर रहा है, जो अनदेखे हैं और उन्हें अपनी कला को आगे बढ़ाने के लिए समर्थन एवं एक बड़े प्लेटफॉर्म की आवश्यकता है। मुझे उम्मीद है कि एचएमआईएफ के आर्ट प्रोग्राम्स भारत की कला, शिल्प और संस्कृति की समृद्ध एवं ऐतिहासिक विरासत को सपोर्ट और प्रमोट करेंगे।’
आर्ट फॉर होप: विविध कला रूपों को एकजुट करना
2021 में लॉन्च किया गया आर्ट फॉर होप भारत के हर राज्य तक पहुंचने में सक्षम हुआ है। पिछले तीन वर्षों में एचएमआईएफ लगातार कला और संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए समर्पित रहा है। वैसे तो इसके सभी लाभार्थियों ने अपने-अपने क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। इनमें से कुछ कहानियों पर एक नजर:
- मिरियम कोशी, अर्थविस्ट कलेक्टिव | गोवा
गोवा के प्राकृतिक तट रक्षकों मैंग्रोव को बचाने के लिए पारिस्थितिक हमलों के प्रति एक सामूहिक प्रतिक्रिया है अर्थविस्ट। यह गोवा के मुख्य भोजन – मछली, करी और चावल के माध्यम से अपनी आजीविका कमाने में किसान एवं मछुआरों के बीच सामंजस्य बनाए रखने की कुंजी थी। अर्थविस्ट कलेक्टिव की पहली परियोजना ‘आमचे मैंग्रोव’ की कल्पना गोवा के पारिस्थितिकी तंत्र के लिए मैंग्रोव के महत्व के प्रति संवेदनशीलता बढ़ाने और मैंग्रोव के संरक्षण के महत्व पर सामाजिक विमर्श को बढ़ावा देने के लिए की गई थी। अर्थविस्ट ने गॉज से बने प्रेयर फ्लैग्स का स्पाइरल इंस्टॉलेशन किया, जिसका शीर्षक था मैंग्रेव: (एन)सर्कलिंग द लॉस। इस इंस्टॉलेशन के माध्यम से पेड़ों के ढांचे (खोए हुए मैंग्रोव के) के सेंट्रल स्पाइरल को लाल रंग के प्रेयर फ्लैग्स में लपेटकर मैंग्रोव के नुकसान के बारे में ध्यान आकर्षित किया गया था। एचएमआईएफ के आर्ट फॉर होप अनुदान द्वारा समर्थित इंस्टॉलेशन पर एक डॉक्यूमेंटेशन भी तैयार किया गया, जिसका उद्देश्य इस व्यापक विनाश के खिलाफ जागरूकता पैदा करना और परिवर्तन की पहल करना है। इस प्रोजेक्ट को हर तरफ से सराहना मिली है।
- तपन मोहना | ओडिशा
तपन मोहना एक उड़िया कलाकार हैं, जिन्होंने नेचर-कल्चर डिवाइड के प्रतिकूल प्रभावों से सबसे अधिक प्रभावित समुदायों के साथ असरदार तरीके से संबंध स्थापित किया है। तपन अपने काम में अक्सर छोटे आकार के खिलौने जैसी मूर्तियों का प्रयोग करते हैं। उनकी कृतियां छाया नाटक (शैडो प्ले) और छाया रंगमंच (शैडो थिएटर) जैसे विभिन्न स्थानीय एवं स्वदेशी कला रूपों का एक मिश्रण हैं। उनके एक्टिव आर्ट इंस्टॉलेशन ‘सनसेट इन द ईस्टर्न लैंड‘ को एचएमआईएफ की आर्ट फॉर होप प्रदर्शनी में प्रदर्शित किया गया है। यह इंस्टॉलेशन दिखाता है कि परिदृश्य में बदलाव का समाज पर राजनीतिक प्रभाव कैसे पड़ता है और ये बदलाव प्रकृति एवं भगवान के बारे में पौराणिक कहानियों से कैसे जुड़े हुए हैं। इन्हें एक पारंपरिक कठपुतली कला रूप रावणछाया के माध्यम से दर्शाया गया है। उनकी कला का ही प्रभाव है कि तपन प्रो-हेल्वेटिका (स्विस आर्ट्स काउंसिल) स्कॉलरशिप सहित प्रतिष्ठित रेजीडेंसी कार्यक्रमों का हिस्सा रहे हैं।
चननजी खान | राजस्थान चाननजी खान राजस्थान के मांगनियार समुदाय से हैं, जिनके पास सुरमंडल वाद्ययंत्र बजाने की 100 साल पुरानी विरासत है। पारंपरिक 36 तारों वाली लैप वीणा दशकों से चाननजी के परिवार का हिस्सा रही है। वाद्ययंत्रों में घटती रुचि के कारण चाननजी अब 25,000 से अधिक लोगों के समुदाय में एकमात्र सुरमंडल वादक बचे हैं। कई वर्षों से चाननजी का सुरमंडल अपनी तरह का एकमात्र उपकरण था। विरासत को बचाने के लिए चाननजी और उनके बेटे विलुप्त होने के कगार पर पहुंच गई इस कला को संरक्षित करने के लिए अथक प्रयास कर रहे हैं। आज, एचएमआईएफ के समर्थन और व्यापक जागरूकता के दम पर इस लुप्त होती कला को फिर से मान्यता मिल रही है। उनके परिवार और उन्होंने नए उपकरण बनाए, जिनका उपयोग अब वे दूर-दराज के गांवों के लोगों को प्रशिक्षित करने में करते हैं।
तरूण शर्मा | नई दिल्ली तरुण शर्मा एक विजुअल आर्टिस्ट हैं जो नई दिल्ली में रह रहे हैं। वह ड्रॉइंग, पेंटिंग, मेज़ोटिन्ट प्रिंट, वुडकट प्रिंट और इंस्टॉलेशन के माध्यम से अपनी कला का अभ्यास करते हैं। वह प्रिंस क्लॉज़ फंड्स, नीदरलैंड्स के पहले सीड अवार्ड विजेताओं (2021) में से एक हैं। उनकी कला का सामान्य सूत्र सहानुभूति है। भोजन या आश्रय के बिना दिल्ली की सड़कों पर असहाय रूप से रहने वाले लोगों के जीवन को दर्शाने से लेकर वर्तमान समय में बढ़ते शहरी जंगल के बीच मेट्रो शहरों में जानवरों के सामने आने वाली समस्याओं के इर्द-गिर्द केंद्रित काम तक तरुण की कला ने हमेशा उनके दर्शकों को रुकने, सोचने और मूल्यांकन करने पर मजबूर किया है। उनकी कला की भाषा समाज एवं पर्यावरण के प्रति सहानुभूति की भावना को आत्मसात करने की दिशा में सक्रिय रूप से काम कर रही है। आज तरुण समाज के लिए विभिन्न वर्कशॉप के माध्यम से जागरूक प्रिंट-मेकिंग की कला का प्रसार कर रहे हैं।
तमसिन नोरोन्हा | गोवा एक पर्यावरण कार्यकर्ता और कलाकार तमसिन नोरोन्हा ने अपने गृह राज्य गोवा में समुद्र तट की सफाई के माध्यम से प्लास्टिक कचरे को खत्म करने का अभियान चलाया है। तमसिन एकत्र किए गए कचरे को घर ले जाती हैं, उन्हें धोती हैं और रंग के आधार पर क्रमबद्ध पैटर्न एवं कॉन्फिगरेशन बनाती हैं। तमसिन उन्हें टुकड़े-टुकड़े करके गोवा अज़ुलेजो टाइल्स बनाने में प्रयोग करती है, जिसका प्रयोग गोवा के सार्वजनिक स्थानों पर आम है। आज, तमसिन की कलाकृतियां पूरे भारत में प्रदर्शित की जा रही हैं और उनकी कला एवं संरक्षण की दिशा में उनके प्रयासों ने पारिस्थितिकी को संरक्षित रखने के महत्व को लेकर जागरूकता पैदा की है।
ह्यूंडई मोटर इंडिया फाउंडेशन ने अपने समग्र कला कार्यक्रमों के माध्यम से प्रतिभागियों को न केवल सामाजिक, भावनात्मक एवं वित्तीय सहायता प्रदान की है, बल्कि एक राष्ट्रव्यापी मंच भी प्रदान किया है जो आगे के अवसरों के लिए एक स्प्रिंगबोर्ड की तरह काम करता है। अपने समग्र दृष्टिकोण, उचित मान्यता, कौशल उन्नयन कार्यशालाओं की एक श्रृंखला और प्रतिभाशाली कलाकारों एवं भारतीय कला परिदृश्य के लिए मार्गदर्शन के माध्यम से एचएमआईएफ सक्रिय रूप से ‘प्रोग्रेस फॉर ह्यूमैनिटी’ और सभी के लिए एक उज्जवल भविष्य की दिशा में आगे बढ़ रहा है।