भारत में नौकरी हो या चुनावी टिकट जाति देख कर दिया जाता है
जातिवाद फैलाने का आरोप सवर्णों पर : रविंद्र पाठक
बहराइच अरुण विक्रांत
भाजपा हो या फिर कांग्रेस अथवा क्षेत्रिय दल सबके सब जातिवाद फैला रहे हैं और यदि नहीं तो चुनाव के टिकट जाति धर्म के आधार पर क्यों बांटे जाते हैं और तो और भारत में नौकरियां भी जाति देखकर या जाति के आधार पर ही दी जाती है, इसके अलावा भी जाति प्रमाण पत्र सरकार द्वारा ही जारी किया जाता है, किंतु आरोप सदैव ब्राह्मणों और क्षत्रियों पर लगाए जाते हैं जो भारत के सभी राजनैतिक दलों की कुंठा और दुर्भावना का जीवंत उदाहरण है, जिसकी हम घोर निंदा करते हैं यह बात सवर्ण आर्मी के प्रदेश अध्यक्ष महाराष्ट्र रविंद्र कुमार पाठक ने कहा।
गौरतलब है कि अभी हाल ही में सरकार द्वारा बकायदा फरमान जारी कर कहा गया था कि यदि दुपहिया या चौपहिया वाहनों पर जाति लिखा मिला तो खैर नहीं। इसके अलावा भी बार बार ब्राह्मणों और क्षत्रियों पर जातिवाद फैलाने के आरोप लगते रहे हैं जबकि जाति प्रमाण सरकारी संस्थानों स्वतः सरकार द्वारा दिया जाता है जो वास्तव में जातिवादी मानसिकता का विषदंश है ऊपर से चुनावी समीकरण में सभी दलों द्वारा जातीय समीकरण को सबसे ऊपर रखा जाता है अथवा सबसे अधिक महत्व दिया जाता है जो जातीय भेदभाव फैलाने का दूसरा नमूना है और तीसरा नमूना भारत में सरकारी नौकरियां बिना जाति देखे नहीं दी जाती है। अर्थात यह तीनों तथ्य यह साबित करने के लिए पर्याप्त हैं कि भारत में जातीय भेदभाव की घृणा स्वतः राजनीतिक दल और सरकार द्वारा फैलाई और भड़काई जाती है परंतु आप हम ब्राह्मण और क्षत्रियों पर मढ़ दिए जाते हैं जो सरासर अन्याय के सिवा और कुछ नहीं है। परंतु अब हम सवर्णों के साथ हो रहे घोर अन्याय का खुलकर विरोध करेंगे और परिवर्तन के क्रांति की मशाल बनेंगे क्योंकि एसटीएससी एक्ट के माध्यम से एक और जहां हम सवर्णों को निर्दोष होते हुए भी ललितपुर के विष्णु तिवारी की तरह बलि चढ़ा दी जाती है तो दूसरी ओर जातिगत आरक्षण के आधार पर योग्यता का कल घट दिया जाता है हम सवर्णों को मात्र 21 वर्ष में ही वृद्ध घोषित कर दिया जाता है जो हम सवर्णों का दमन व शोषण है जिसके विरुद्ध अब हम सवर्णों का महा आंदोलन देखेगी दुनिया भारत में ब्रह्म क्रांति का आगाज हो चुका है सवर्ण समाज जाग गया अब अन्य और शोषण गधा भी नहीं सहेंगे हम संघर्ष करेंगे हम लड़ेंगे और देश में एक भव्य परिवर्तन लाएगे समरसता का।
भारत में सरकारी नौकरियां हों या चुनावी टिकट सब कुछ जाति देखकर होता है यहां तक के जाति प्रमाण पत्र भी सरकारी संस्थानों के माध्यम से सरकार स्वत: बनती है स्वर्ण पर एससी एसटी एक्ट में मुकदमे भी जाति देखकर होता है परंतु जाती बात फैलने क आरोप सदैव ब्राह्मण और क्षत्रियों पर लगता आया है जो सरासर गलत ही नहीं अभी तो अन्याय और शोषण भी है हम सवर्णों का जिसकी हम घोर निंदा करते हैं, रविंद्र कुमार पाठक सवर्ण आर्मी प्रदेश अध्यक्ष महाराष्ट्र।