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गोरखपुर में सात साल बाद जोश में आए समाजवादी, इस वजह से ऊंचा हुआ मनोबल

गोरखपुर में सात साल बाद जोश में आए समाजवादी, इस वजह से ऊंचा हुआ मनोबल

 

सपा ने 2019 में लोकसभा चुनाव फिर पंचायत चुनाव 2022 का विधानसभा चुनाव और फिर नगर निकाय के चुनाव में पटखनी के बाद कांग्रेस के साथ मिलकर चुनावी महासंग्राम लड़ा। यह रणनीति काम आई और प्रदेश में ऐतिहासिक सफलता तो मिली ही यहां गोरखपुर और बांसगांव में इंडी गठबंधन ने भाजपा को जोरदार टक्कर दी। मतदाताओं से मिले इस प्यार ने सपा नेताओं और कार्यकर्ताओं में नई ऊर्जा भर दी है।

 

विशाल समाचार गोरखपुर :   विधानसभा चुनाव 2017 में सत्ता से हटने के बाद लगातार सात वर्षों तक हर चुनाव में गोरखपुर से हार का मिथक भले न टूटा, लेकिन परिणाम ने समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं गिरते मनोबल को नई ऊंचाई जरूर दे दी।

पार्टी ने 2019 में लोकसभा चुनाव, फिर पंचायत चुनाव, 2022 का विधानसभा चुनाव और फिर नगर निकाय के चुनाव में पटखनी के बाद इस बार कांग्रेस के साथ मिलकर के चुनावी महासंग्राम लड़ा। यह रणनीति काम आई और प्रदेश में ऐतिहासिक सफलता तो मिली ही, यहां गोरखपुर और बांसगांव में इंडी गठबंधन ने भाजपा को जोरदार टक्कर दी।

मतदाताओं से मिले इस प्यार ने सपा नेताओं और कार्यकर्ताओं में नई ऊर्जा भर दी है। सपा अब इस जोश का उपयोग 2027 में इतिहास रचने के लिए करना चाहती है। चर्चा है कि पार्टी नेतृत्व की तरफ से जिलाध्यक्ष समेत सभी वरिष्ठ नेताओं को कार्यकर्ताओं के बीच जोश और सक्रियता को बनाए रखने के निर्देश दिए गए हैं

बांसगांव लोकसभा में कांटे की टक्कर के बाद तीन बार सांसद रह चुके भाजपा उम्मीदवार कमलेश को चौथी बार महज 3150 मतों के अंतर से जीत मिली है तो गोरखपुर लोकसभा क्षेत्र के उम्मीदवार रवि किशन के जीत का अंतर तीन लाख से घटकर करीब एक लाख हो गया है।

बांसगांव में तो हारने के बाद भी गठबंधन से कांग्रेस उम्मीदवार सदल प्रसाद को पांच में से तीन विधानसभाओं में जीत मिली है। सिर्फ चौरीचौरा और रुद्रपुर ने कमलेश के जीत की नैया पार लगाई।

जिलाध्यक्ष ब्रजेश कुमार गौतम का कहना है कि भले ही गोरखपुर की दोनों सीटों पर हमें जीत नहीं मिली, लेकिन हमारा प्रदर्शन काफी सुधरा है। सबसे बड़ी उपलब्धि तो यह कि प्रदेश की आधे से अधिक सीटों पर जनता ने गठबंधन पर अपना भरोसा जताते हुए नेतृत्व सौंपा है।

जनता के इस विश्वास पर हम खरे उतरने के लिए हर संघर्ष करने को तैयार हैं। ब्रजेश कहते हैं कि गठबंधन के प्रमुख मुद्दों आरक्षण, पिछड़ों, दलितों अल्पसंख्यकों के हकों की सुरक्षा और संविधान की रक्षा समेत किसी भी तरह की समस्या को लेकर जनता परेशान होगी तो पार्टी के नेता, कार्यकर्ता उन्हें न्याय दिलाने के लिए सड़क से सदन तक लड़ाई लड़ेंगे।

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