पूणे

एमएसडीई ने उभरते कौशल के साथ भारत के कृषि सेक्टर को सशक्त बनाने के लिए ऑस्ट्रेलियाई सरकार के साथ साझेदारी की

एमएसडीई ने उभरते कौशल के साथ भारत के कृषि सेक्टर को सशक्त बनाने के लिए ऑस्ट्रेलियाई सरकार के साथ साझेदारी की

पुणे : कौशल विकास और उद्यमशीलता मंत्रालय (एमएसडीई) ने आस्ट्रेलिया सरकार के सहयोग से आस्ट्रेलिया-इंडिया क्रिटिकल एग्रीकल्चर स्किल्स पायलट प्रोजेक्ट से प्राप्त अनुभवों पर चर्चा करने के लिए एक व्यापक एवं उपयोगी गोलमेज सम्मेलन का आयोजन किया। एमएसडीई के सचिव श्री अतुल कुमार तिवारी और ऑस्ट्रेलियाई हाई कमिशन के मिनिस्टर काउंसलर, एजुकेशन एंड रिसर्च श्री मैथ्यू जॉनस्टन के नेतृत्व में आयोजित इस गोलमेज सम्मेलन में इस पहल को आगे बढ़ाने, इसे बड़े पैमाने पर लाने और अन्य सेक्टर्स में इस मॉडल को लागू करने के अवसरों पर ध्यान केन्द्रित किया गया। इस गोलमेज सम्मेलन में राष्ट्रीय व्यावसायिक शिक्षा एवं प्रशिक्षण परिषद (एनसीवीईटी), राष्ट्रीय कौशल विकास निगम (एनएसडीसी), भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर), शिक्षा मंत्रालय (एमओई) और भारतीय कृषि कौशल परिषद (एएससीआई) के प्रतिनिधि भी शामिल हुए।

 

पिछले वर्ष मार्च में परिकल्पित यह प्रोजेक्ट, एक्सपर्ट, गवर्नमेंट ऑर्गेनाइजेशन, रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन, मल्टीलेटरल ऑर्गेनाइजेशन, नॉन प्रॉफिट ऑर्गेनाइजेशन और इंडस्ट्री एसोसिएशन के साथ कंसल्टेशन की एक व्यापक प्रक्रिया के बाद सफल हुआ। स्कोपिंग स्टडी में फेस-टू फेस कंसल्टेशन, 64 संगठनों के 89 एक्सपर्ट के साथ वर्चुअल कंसल्टेशन और विभिन्न सरकारी रिपोर्टों की समीक्षा शामिल थी। इन निष्कर्षों को कौशल विकास और उद्यमशीलता मंत्रालय (एमएसडीई) और आस्ट्रेलियाई सरकार के साथ साझा किया गया और इसके बाद पायलट प्रोजेक्ट के लिए कृषि क्षेत्र में 5 महत्वपूर्ण उभरते जॉब रोल्स की पहचान करने के लिए 107 उभरते जॉब रोल्स को मैप किया गया।

 

 

 

अगला कदम क्वालिफिकेशन स्टैंडर्ड को संरेखित करना था, जिसे एग्रीकल्चर स्किल काउंसिल ऑफ इंडिया (एएससीआई) और स्किल्स इम्पैक्ट (ऑस्ट्रेलिया में सेक्टर स्किल काउंसिल के समकक्ष इंडस्ट्री बॉडी) द्वारा सहयोग से किया गया, जिसे नेशनल काउंसिल फॉर वोकेशनल एजुकेशन एंड ट्रेनिंग (एनसीवीईटी) द्वारा अनुमोदित किया जाना था।

 

छह पायलट प्रोजेक्ट जो पूरे होने वाले हैं, उन्हें 4 राज्यों, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, तमिलनाडु और तेलंगाना में लागू किया गया है, जिसमें इस सेक्टर में नए और उभरते हुए जॉब रोल शामिल हैं, जिनमें डिजिटल एग्रीकल्चर एक्सटेंशन प्रमोटर, कार्बन फार्मिंग प्रैक्टिशनर, लाइवस्टोक ग्रीन मैनेजमेंट प्रमोटर, ऑर्गेनिक फार्म एंड बिजनेस प्रमोटर और इंटीग्रेटेड फार्मिंग प्रैक्टिशनर शामिल हैं। जॉब रोल्स सतत विकास लक्ष्यों, मुख्य रूप से जलवायु कार्रवाई, असमानताओं में कमी, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और इंडस्ट्री, इनोवेशन एंड इंफ्रास्ट्रक्चर के साथ संरेखित हैं।

 

इस अवसर पर बोलते हुए कौशल विकास और उद्यमशीलता मंत्रालय (एमएसडीई) के सचिव श्री अतुल कुमार तिवारी ने कहा, “वोकेशनल एजुकेशन एंड ट्रेनिंग में भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच सहयोग के अच्छे परिणाम मिले हैं और यह प्रोजेक्ट इसका एक और प्रमाण है। कृषि क्षेत्र, जो भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है, खाद्य सुरक्षा और रोजगार सुनिश्चित करने में अपनी भूमिका के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है और ऑस्ट्रेलिया-इंडिया क्रिटिकल एग्रीकल्चर स्किल्स प्रोजेक्ट जैसे निरन्तर प्रयासों के साथ हम यह सुनिश्चित करते हैं कि यह क्षेत्र आधुनिकीकरण और स्थिरता की चुनौतियों का सामना कर सके। हमें उम्मीद है कि यह मोमेंटम जारी रहेगा और कई अन्य सेक्टर्स में भी इसी तरह की पहल की जाएगी।”

 

कोर्स कन्टेंट को इंडियन काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चर रिसर्च (आईसीएआर), महिंद्रा एंड महिंद्रा, ऑस्ट्रेलियन कॉलेज ऑफ एग्रीकल्चर एंड हॉर्टिकल्चर (एसीएएच), सेन्टर ऑफ सस्टेनेबल एग्रीकल्चर (सीएसए), आयरनवुड इंस्टीट्यूट, नेशनल स्किल फाउंडेशन ऑफ इंडिया (एनएसएफआई), एवेंटिया इंस्टीट्यूट, आगा खान रूरल सपोर्ट प्रोग्राम और कार्बन फ्रेंडली द्वारा सहयोग से संबंधित जॉब रोल्स के लिए विकसित किया गया है।

 

ऑस्ट्रेलिया भारत के लिए एक प्रमुख पार्टनर रहा है और दोनों देश कैपेसिटी बिल्डिंग और ट्रेनिंग पर मिलकर काम कर रहे हैं। दोनों देशों की बदलती जरूरतों और जनसांख्यिकी के अनुसार न्यू-एज कोर्सेंज़ पर विशेष ध्यान देने के साथ घनिष्ठ स्किल कॉरपोरेशन के लिए प्रमुख सेक्टर्स में अवसरों की पहचान कर रहे हैं। एनईपी 2020 के बाद, भारत ने शिक्षा के अंतर्राष्ट्रीयकरण को बढ़ावा देने के लिए नई पहल की है, जिसमें ज्वाइंट/ड्यूल/ट्विनिंग डिग्री के लिए नियम और भारत में फॉरेन यूनिवर्सिटीज के कैम्पस की स्थापना के लिए एक ड्राफ्ट रेगुलेशन शामिल है।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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