Maharashtra

महाराष्ट्र में दो सप्ताह में आएगी तीसरी लहर? 8 लाख के पार हो सकते हैं एक्टिव केस

Maharashtra: Covid-19 का प्रकोप अभी खत्म नहीं हुआ है। इस बीच बड़ी आशंका इस बात को लेकर जताई गई है कि दो से चार हफ्तों के अंदर महाराष्ट्र में कोरोना की तीसरी लहर आ सकती है। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की अध्यक्षता में कोरोना की तैयारियों को लेकर बनाई गई टास्क फोर्स के साथ एक मीटिंग हुई। इस बैठक में कई अहम बातें निकल कर आई हैं। स्टेट टास्क फोर्स ने चेतावनी देते हुए कहा कि दो से चार हफ्ते के अंदर राज्य में कोरोना की तीसरी लहर आ सकती है। टास्क फोर्स ने यह भी कहा है कि इस लहर का असर 10 फीसदी बच्चों पर पड़ सकता है।
इस मीटिंग में यह बात सामने आई कि कोरोना की तीसरी लहर में केसों की कुल संख्या दूसरी लहर में आए कुल केसों की दोगुनी हो सकती है। राज्य में कोरोना के सक्रिय मरीजों की संख्या 8 से 10 लाख तक पहुंच सकती है। विशेषज्ञों ने यह भी कहा है कि मरीजों में 10 प्रतिशत संख्या बच्चों की हो सकती है। डेल्टा प्लस वैरिएंट के मामले आने के बीच ही अब महाराष्ट्र में संभावित तीसरी लहर के लिए तैयारियों को लेकर यह समीक्षा बैठक की गई थी। टास्क फोर्स ने मुख्यमंत्री को बताया है कि बेहद तेज़ी से फैलने वाला डेल्टा प्लस वैरिएंट राज्य में तीसरी लहर ला सकता है।
राज्य के स्वास्थ्य कर्मियों ने कहा कि पहली लहर से कहीं ज़्यादा संक्रमण के मामले दूसरी लहर में आए थे और ऐसा डेल्टा वैरिएंट की वजह से हुआ था। उन्होंने आशंका जताई है कि तीसरी लहर में और ज़्यादा संख्या में कोरोना के मरीज़ आ सकते हैं। बता दें कि राज्य में पहली लहर में 19 लाख संक्रमण के मामले दर्ज किए गए थे जबकि दूसरी लहर में क़रीब 40 लाख पॉजिटिव केस दर्ज किए जा चुके हैं। अधिकारियों ने अब चिंता जताई है कि तीसरी लहर में सक्रिय मामलों की संख्या क़रीब 8 लाख तक पहुंच सकती है और इसमें से क़रीब 10 फ़ीसदी बच्चे होंगे।
इस टास्क फोर्स के सदस्य डॉक्टर शशांक जोशी, ने कहा कि कोरोना के खतरे को देखते हुए हमें कोविड के खिलाफ लड़ने के लिए जरुरी गाइडलाइंस का पालन करना होगा। टास्क फोर्स के सदस्यों ने चेताया है कि महाराष्ट्र में हालात यूके जैसे बन सकते हैं जहां तीसरी लहर ने तबाही मचा रखी है। अधिकारियों ने चेताया है कि अनियंत्रित भीड़ और कोरोना नियमों की अनदेखी मसलन- मास्क ना पहनना और सोशल डिस्टेन्सिंग का पालन ना करना चिंता बढ़ा सकती है। उन्होंने यह भी कहा कि टेस्टिंग की संख्या भी कम हुई है इसका मतलब यह है कि कई सारे ऐसे केस आ सकते हैं जिनके बारे में पता ही ना चल सके।

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