रीवा

युवा पीढ़ी को नशे से बचाकर ही विन्ध्य का विकास सार्थक बनेगा – उप मुख्यमंत्री

युवा पीढ़ी को नशे से बचाकर ही विन्ध्य का विकास सार्थक बनेगा – उप मुख्यमंत्री

 

रीवा आलोक कुमार तिवारी: गत दिवस कमिश्नर कार्यालय सभागार में आयोजित नशामुक्ति कार्यशाला में उप मुख्यमंत्री श्री राजेन्द्र शुक्ल ने कहा कि रीवा सहित पूरा विन्ध्य तेजी से विकास कर रहा है। बाणसागर बांध की नहरों से खेती का तेजी से विकास हुआ है। इसके साथ-साथ फोरलेन सड़कें, रेलमार्ग, एयरपोर्ट सहित अधोसंरचना का विकास हो रहा है। यह पूरा विकास निरर्थक साबित होगा अगर हमने युवा पीढ़ी को नशे से नहीं बचाया। हर आयु वर्ग के व्यक्ति को नशे के विष से बचाने के लिए पूरे विन्ध्य में लगातार जागरूकता अभियान चलाएं। शिक्षण संस्थाओं में नियमित रूप से नशे से बचाव के कार्यक्रम आयोजित करें। प्रशासनिक स्तर पर नशे के विरूद्ध प्रभावी कार्यवाही लगातार की जा रही है। विन्ध्य को नशामुक्त बनाने के लिए हर व्यक्ति योगदान दे।

उप मुख्यमंत्री ने कहा कि नशे के शिकार व्यक्तियों के पुनर्वास के लिए संजय गांधी हास्पिटल में 15 बेड का तथा समाजसेवी संस्था निवेदिता में भी 15 बेड का नशामुक्ति वार्ड है। संजय गांधी हास्पिटल में शीघ्र ही नशामुक्त बेडों की संख्या 40 की जाएगी। इसमें उपचार के साथ-साथ काउंसलिंग की भी व्यवस्था होगी। मेडिकल नशा रोकने के लिए इसके सप्लायर के साथ-साथ इनके मूल स्त्रोत पर भी कार्यवाही करें।

कार्यशाला में कमिश्नर बीएस जामोद ने बताया कि संभाग के सभी जिलों में शराब, कोरेक्स, गांजा तथा अन्य नशीले पदार्थों की अवैध बिक्री पर लगातार कार्यवाही की जा रही है। सामाजिक न्याय विभाग अन्य विभागों तथा सामाजिक संगठनों के सहयोग से जागरूकता कार्यक्रम लगातार आयोजित कर रहा है। अभिभावक भी अपने बच्चों को उचित मार्गदर्शन दें। उनसे सतत संवाद रखें। यदि कोई बच्चा नशे की राह पर चला गया है तो उसे उपचार एवं काउंसलिंग के माध्यम से नशे से मुक्त कराने का प्रयास करें। कार्यशाला में आईजी एमएस सिकरवार ने कहा कि पूरे संभाग में पिछले छ: महीने में नशे के विरूद्ध प्रभावी अभियान चलाया जा रहा है। अभियान के दौरान पुलिस ने एक लाख 77 हजार शीशी कोरेक्स, 20 क्विंटल 600 ग्राम गांजा जप्त किया है। नशे से जुड़े 9.25 करोड़ का ट्रांजेक्शन पकड़ा गया है। कोरेक्स के प्रमुख सप्लायर को सागर से गिरफ्तार किया गया है। ग्वालियर और दिल्ली के होलसेल सप्लायरों पर भी शिकंजा कसा जा रहा है।

कार्यशाला में कलेक्टर श्रीमती प्रतिभा पाल ने कहा कि नशे के सौदागरों के विरूद्ध लगातार कार्यवाही की जा रही है। मेडिकल स्टोर का लाइसेंस देते समय पूरी जाँच पड़ताल की जाए। जिन दवाओं का नशे के रूप में उपयोग होता है उनका फैक्ट्री से निर्माण होने से लेकर वितरण तक यूनिक रजिस्ट्रेशन नम्बर से ट्रैकिंग की जाए। नारकोटिक्स आधारित दवाओं के भण्डारण की सीमा भी निर्धारित रहे। नशे पर प्रभावी रोक लगाने के लिए इसके आर्थिक और सामाजिक पहलू पर भी ध्यान देना आवश्यक है।

कार्यशाला में संयुक्त संचालक सामाजिक न्याय अनिल दुबे ने बताया कि देश में 16 करोड़ लोग किसी न किसी तरह के नशे की गिरफ्त में हैं। यह कुल जनसंख्या का 14.6 प्रतिशत है। इनमें से 5 करोड़ 70 लाख को उपचार की आवश्यकता है। नशे के शिकार व्यक्तियों में से 23.7 प्रतिशत पुरूष तथा 1.6 प्रतिशत महिलाओं को शराब के नशे की आदत है। लगभग 3.1 करोड़ लोग गांजे और मेडिकल नशे के शिकार हैं। नशामुक्ति के लिए कई स्तरों पर कार्य करने की आवश्यकता है। नशे की सप्लाई चेन को तोड़ना, नशे के शिकार व्यक्तियों का पुनर्वास तथा भावी पीढ़ी को नशे की राह में जाने से रोक कर ही नशामुक्ति के प्रयास सफल होंगे। बैठक में विभिन्न सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों ने भी नशामुक्ति के संबंध में उपयोगी सुझाव दिए। कार्यशाला में अध्यक्ष नगर निगम श्री व्यंकटेश पाण्डेय, डीआईजी साकेत प्रकाश पाण्डेय, पुलिस अधीक्षक विवेक सिंह, अपर कमिश्नर अरूण परमार, डीन मेडिकल कालेज डॉ सुनील अग्रवाल, संयुक्त संचालक शिक्षा एसके त्रिपाठी, अतिरिक्त संचालक उच्च शिक्षा आरपी सिंह, संभागीय समन्वयक जन अभियान परिषद प्रवीण पाठक, विभिन्न महाविद्यालयों के प्राचार्य, विद्यार्थी एवं सामाजिक संगठनों के सदस्य उपस्थित रहे।

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