बायो टेक्नोलॉजी में है शानदार भविष्य विशेषज्ञों की सलाह: अलार्ड यूनिवर्सिटी में पैरामेडिकल साइंस और बायोटेक्नोलॉजी में अवसर और हालिया प्रवृत्तियॉ विषय पर कार्यशाला
पुणे, अक्टूबर रेडियोलॉजी क्षेत्र स्वास्थ्य सेवा की दुनिया में सबसे विकसित क्षेत्रों में से एक माना जाता है. चिकित्सा क्षेत्र में बडी संख्या में रोजगार उपलब्ध है और आगे भी तेजी से रोजगार बढ़ने की उम्मीद है. साथ ही छात्रों के पैरामेडिकल और बायोटेक्नोलॉजी क्षेत्रों के ज्ञान को समृद्ध करती है, बल्कि उन्हें एक महत्वपूर्ण स्वास्थ्य और विज्ञान के क्षेत्रों में अपने संभावित करियर पथों की खोज के लिए भी प्रेरित करती है. ऐसी राय बायो टेक्नोलॉजी क्षेत्र के विशेषज्ञों ने रखी.
हम अलग है, हम अलार्ड है के नारे के साथ जारी शैक्षणिक वर्ष से शुरू हुए अलार्ड विश्वविद्यालय में अलार्ड स्कूल ऑफ हेल्थ एंड बायोसाइंस की ओर से पैरामेडिकल साइंस और बायोटेक्नोलॉजी में अवसर और हालिया प्रवृत्तियॉ विषय पर आयोजित कार्यशाला में उपस्थितोंने अपने विचार रखे.
इस कार्यशाला में बायो टेक्नोलॉजी क्षेत्र के विशेषज्ञ डॉ. अभिजीत, संजीव सिंह, और प्रमोद जैसे वक्ता शामिल हुए थे. कार्यक्रम की अध्यक्षता अलार्ड यूनिवर्सिटी के संस्थापक एवं चांसलर डॉ. एल.आर यादव ने निभाई.
साथ ही विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. पूनम कश्यप और पर स्कूल के डीन डॉ. अजय कुमार जैन मौजूद थे.
उपस्थित वक्ताओं ने अस्पताल, अनुसंधान और विकास, कॉर्पोरेट कंपनियों जैसे विभिन्न क्षेत्रों में पैरामेडिकल क्षेत्र में उपलब्ध विविध अवसरों पर चर्चा की. उन्होंने उद्योग को आकार देने वाली नवीनतम प्रवृत्तियों और पैरामेडिकल एवं बायोटेक्नोलॉजी क्षेत्र में विस्तृत अवसरों पर प्रकाश डाला.
डॉ.एल.आर.यादव ने कहा, यहां ऐसे छात्र तैयार किए जाएंगे जो नौकरी मांगने वाले नहीं बल्कि नौकरी देने वाले होंगे. कडी मेहनत, ईमानदारी, व्यावहारिक ज्ञान के बिना सफलता संभव नहीं है. यदि छात्रों जीवन में आगे बढ़ना हैं तो अपने माता पिता की सेवा करे और कड़ी मेहनत करने की ताकत रखें.
डॉ. पूनम कश्यप ने कहा, छात्रों का करियर ज्ञान के आधार पर बनेगा. हम यहां के अनुभवी शिक्षकों और उनके ज्ञान का उपयोग उन्हें शारीरिक और मानसिक रूप से मजबूत बनाने के लिए करेंगे. नवाचार, अनुसंधान और छात्रों के सर्वांगीण विकास के लिए परियोजना आधारित शिक्षा प्रदान की जाएगी.
आयोजित कार्यशाला में लगभग १०० से अधिक छात्र शामिल हुए थे.
कार्यशाला को सफल बनाने के लिए डॉ. सविता पेतवाल, आशिष और रितु ने अथक परिश्रम किए.