
ताजमहल भी हो जाता वक्फ संपत्ति, सुप्रीम कोर्ट में पेश नहीं हुए थे शाहजहां से जुड़े ये दस्तावेज
आगरा के ताजमहल को वक्फ संपत्ति घोषित करने के कई दावे हुए, लेकिन बोर्ड में दर्ज नहीं हो पाया। एक बार तो सुन्नी वक्फ बोर्ड ने इसे वक्फ संपत्ति के रूप में दर्ज भी कर लिया था। मगर
आगरा के ताजमहल को वक्फ संपत्ति घोषित करने के कई दावे हुए, लेकिन बोर्ड में दर्ज नहीं हो पाया। एक बार तो सुन्नी वक्फ बोर्ड ने इसे वक्फ संपत्ति के रूप में दर्ज भी कर लिया था। मगर सुप्रीम कोर्ट के सामने शाहजहां के दस्तखत वाला वक्फनामा पेश नहीं कर पाए। इसके बाद वक्फ बोर्ड ने अपना दावा स्वयं वापस ले लिया था। वहीं पूर्व मंत्री और सपा नेता मो. आजम खां ने भी 2014 में ताज को वक्फ संपत्ति घोषित करने की मांग उठाई थी।
1998 में फिरोजाबाद के व्यवसायी इरफान बेदार ने यूपी सेंट्रल सुन्नी वक्फ बोर्ड से मांग की थी कि ताजमहल को वक्फ की संपत्ति घोषित कर बोर्ड उन्हें वहां का मुतवल्ली (केयर टेकर) बना दे। यह एएसआई के अंतर्गत आता था। इसलिए बोर्ड ने एएसआई को नोटिस जारी किया था। इस पर बेदार खुद 2004 में मामले को लेकर इलाहबाद हाईकोर्ट पहुंच गए और ताजमहल का मुतवल्ली बनाने की मांग की। हाईकोर्ट ने सुन्नी वक्फ बोर्ड को ही इस अपील पर विचार करने के लिए कहा।
2005 में यूपी सेंट्रल सुन्नी वक्फ बोर्ड ने ताज को वक्फ संपत्ति के रूप में पंजीकृत करने का निर्णय लिया। इधर, एएसआई ने वक्फ संपत्तियों से संबंधित विवाद के सभी मामलों के लिए प्रथम अपीलीय प्राधिकरण-वक्फ न्यायाधिकरण के पास जाने के स्थान पर इस निर्णय के खिलाफ सीधे सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। 2010 में सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ बोर्ड के इस निर्णय पर रोक लगा दी। वक्फ बोर्ड से सुबूत मांगे कि कैसे दावा कर रहा है।
बता दें कि बोर्ड ने दावा किया था कि मुगल बादशाह शाहजहां ने बोर्ड के पक्ष में ताजमहल का वक्फनामा किया था। सुप्रीम कोर्ट ने यिप्पणी कर कहा था कि शाहजहां ने वक्फनामे पर दस्तखत कैसे किए। वह तो जेल में थे। वह हिरासत से ही ताज देखते थे। वहीं, एएसआई की ओर से एडीएन राव एडवोकेट ने कहा था कि बोर्ड ने जैसा दावा किया है, वैसा कोई वक्फनामा नहीं है।
इन्होंने की थी मांग
वर्ष 2014 में उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मंत्री आजम खान ने कहा था कि दुनिया के अजूबों में से एक ताजमहल को वक्फ बोर्ड की संपत्ति घोषित किया जाना चाहिए। तब उन्होंने यह भी कहा था कि यह जायज इसलिए है क्योंकि ताजमहल दो मुसलमानों शाहजहां और उनकी पत्नी मुमताज का मकबरा है। खान ने दलील दी थी कि हर जगह मुसलमानों की कब्रें सुन्नी वक्फ बोर्ड के अधीन हैं। हालांकि उनकी मांग को ये कहते हुए खारिज कर दिया गया था कि ये राष्ट्रीय स्मारक के रूप में दर्ज है।
ये चल रहा है वाद
स्थानीय न्यायालय में वादी कुंवर अजय तोमर ने ताजमहल में जलाभिषेक किए जाने की अनुमति देने संबंधी वाद दायर किया है। वहीं, मुस्लिम समुदाय से सैयद इब्राहिम हुसैन जैदी ने केस में पक्षकार बनने के लिए अर्जी दी थी। जैदी ने अपनी अर्जी में कहा कि ताजमहल में शाहजहां और मुमताज की कब्रे हैं। जहां कब्रें होती हैं, वह वक्फ की संपत्ति होती है। इस मामले में अगली सुनवाई 10 अप्रैल को है।