सीतामढ़ीहादसा

पहचान छिपाकर मॉल में करती थी काम, ट्रांसजेंडर पूजा पहनेगी पुलिस की वर्दी, सक्सेस को सैल्यूट कर रहे माता- पिता

पहचान छिपाकर मॉल में करती थी काम, ट्रांसजेंडर पूजा पहनेगी पुलिस की वर्दी, सक्सेस को सैल्यूट कर रहे माता- पिता

 

सीतामढ़ी (कुणाल किशोर ): जिले की रहने वाली ट्रांसजेंडर पूजा ने बड़ी सफलता हासिल की है। वो बहुत जल्द पुलिस की वर्दी में दिखने वाली है। पूजा मूल एक ट्रांसजेंडर है। ऐसे बच्चों को 99 फीसदी माता पिता पसंद नहीं करते है, परन्तु पूजा के साथ ऐसा कभी नहीं हुआ। वह अपने भाइयों की तरह माता-पिता की दुलारी रही। परिवार में पूजा को तनिक भी अहसास नहीं हुआ कि वह एक ‘अलग’ है, जिससे उसके साथ कोई भेदभाव हो। एक तरह से माता पिता भूल गए थे कि उनकी बिटिया कुछ अलग है। परिवार से मिले अपार स्नेह जज़्बा फिजिकल एकेडमी के मास्टर ट्रेनर फिजिकल गुरू चन्दन मिश्रा के कुशल प्रशिक्षण से पूजा अब पुलिस की खाकी वर्दी में नजर आएगी। दरअसल, वह बिहार पुलिस भर्ती की परीक्षा में सफल हुई है। ट्रांसजेंडर होने की कसक के साथ 22 बसंत पार कर चुकी पूजा ने सफलता की प्रथम सीढ़ी प्राप्त कर ली है। वह अब तक की जिंदगी में ट्रांसजेंडर होने को सीरियसली नहीं लिया। इसे लेकर उसके मन में भले ही एक कसक हो, पर जज्बा ऊंचा रहा है। दैनिक उजाला सीतामढ़ी ब्यूरो चीफ़ डॉ अभिषेक प्रियरंजन से बातचीत के दौरान पूजा ने अब तक की जिंदगी के कुछ पन्ने पलटी और बताया कि प्रारंभिक शिक्षा गांव के स्कूल से पूरी की। मैट्रिक और इंटर कमला बालिका उच्च विद्यालय, डुमरा से की। फिलहाल गोयनका कॉलेज, सीतामढ़ी से स्नातक कर रही है। पिता किसान हैं। उन्हीं पर परिवार का पूरा बोझ था। उनके बोझ को कुछ कम करने के लिए पूजा ने सीतामढ़ी शहर के एक मॉल में “पहचान” छुपाकर तीन वर्षों तक काम किया। सिपाही की परीक्षा में सफल होकर अचानक सुर्खियों में आई परी पूजा कहती है, मॉल में सुबह 10 बजे से रात्रि के 08 बजे तक ड्यूटी करती थी। फिर रात्रि के 12 बजे तक सिपाही भर्ती की परीक्षा की तैयारी करती थी। वह डुमरा प्रखंड के मोहनडीह गांव की है। पूजा जीविका के लिए मॉल में काम करती थी, मगर सपने को पूरा करने के लिए उतना मेहनत की, जितना एक प्रतियोगी परीक्षा के लिए करनी होती है। दो भाई और एक बहन में सबसे बड़ी पूजा रिजल्ट से खुश हैं। पूजा कहती है, ताजा सफलता वाली खुशी दोगुनी हो गई है. कारण कि परिवार में उसे हमेशा बराबरी का हक मिला। गांव वालों ने भी उसे कभी अलग नजरों से नहीं देखा। किसी ने कोई टिप्पणी नहीं की। बताया कि उसकी सफलता के पीछे पटना वाले रहमान सर भी है, जिनसे ऑनलाइन पढ़ती थी। साथ ही उसकी जैसी लड़की अगर खाकी वर्दी पहनने जा रही है, तो इसके लिए सीएम नीतीश कुमार की आभारी हूं, जिन्होंने सिपाही की बहाली में थर्ड जेंडर के लिए एक फीसदी सीटें आरक्षित किया है।

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