
पुर्ण ब्रह्म योगिनी त्यागमूर्ति श्रीमती प्रयागअक्का कराड समर्पित जीवनगौरव राष्ट्रीय पुरस्कार
विजेताओं का संक्षिप्त परिचय इस प्रकार
महाराणी श्रीमती आशाराजे संग्रामसिंहराजे गायकवाडः राजपरिवार की एक संवेदनशील, प्रतिभाशाली और कुलीन पुत्री महारानी सौ. आशाराजे संग्रामसिंहराजे गायकवाड बडौदा राज्य की रानी हैं. वे पूरी लगन, आस्था, निष्ठा और सच्ची भक्ति के साथ भारतीय संस्कृति, पंरपरा और दर्शन के अनुसार वंचितों को शिक्षित करने, भोजन उपलब्ध कराने और बेहतर जीवन जीनके लिए निरंतर प्रयास करते हैं. उन्होंने वंचितों के उत्थान और उन्हें सशक्त बनाना अपने जीवन का मिशन बना लिया है.
श्रीमती भारती ठाकुरः समर्पित जीवन की प्रतिमूर्ति और वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता, भारती ठाकुर ने मध्य प्रदेश के खरगोण में कसरावद में लेपा रिहैबिलिटेशन की स्थापना की. इसके माध्यम से वे उल्फा आतंकवादी गतिविधियों से प्रभावित असम के चाय बागानों के श्रमिकों और आदिवासी बच्चों के लिए एक प्राथमिक विद्यालय की स्थापना करके शिक्षा प्रदान करने का काम कर रहे हैं. स्कूल छोड़ चुके बच्चों को अनौपचारिक शिक्षा प्रदान करना. इसके अलावा गरीबों के लिए चिकित्सा शिविर का आयोजन भी किया गया. नर्मदालय के माध्यम से नर्मदा तट के पांच गांवों में ५५० स्कूल खोले गए हैं. वे अनाथ बच्चों के लिए शिक्षा केन्द्रों पर काम कर रहे हैं. अपनी शिक्षा जारी रखने के इच्छुक बच्चों के लिए निःशुल्क छात्रावास शुरू कर रहे है, बच्चों के लिए व्यावसायिक प्रशिक्षण बसें शुरू कर रहे है और कौशल प्रशिक्षण प्रदान कर रहे है.
श्रीमती रमाबाई किसन महाराज साखरेः भारतीय संस्कृति, परंपरा और दर्शन का अवतार हभप किसन महाराज साखरे की वे पत्नी है. उन्होंने अपना पूरा जीवन पूरी निष्ठा और समर्पण की भावना के साथ तथा मानवता की सेवा ही ईश्वर की सेवा है के आदर्श वाक्य के साथ समाज सेवा के लिए समर्पित किया है. वारकरी संप्रदाय में उनका नाम बहुत सम्मान के साथ लिया जाता है.
राजयोगिनी डॉ. बिन्नी सरीनः वह ग्लोबल इनिशिएटिव फॉर पीस एंड वेल बीइंग की संस्थापक और शांत राजदूत है. वे शांति के दूत के रूप में जाने जाते हैं. वह एक प्रबुद्ध आध्यात्मिक व्यक्ति, प्रशिक्षक, लेखक और प्रबंधन सलाहकार के रूप में जानी जाती है. उन्होंने अध्यात्म और सार्वभौमिक मूल्यों में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की है और महिलाओं की उन्नति के लिए काम कर रही है. मानवता की सेवा ही ईश्वर सेवा है. यही जीवन का आदर्श वाक्य है. वे इसके लिए दिन रात काम कर रहे हैं. वह सेना अधिकारियों, परिवारों और महिला कल्याण समूहों के लिए तनाव प्रबंधन के विभिन्न विषयों पर सत्र आयोजित करती हैं.
श्रीमती दमयंती देवी जितवानः वह कला शाखा में स्नातकोत्तर हैं और उन्होंने विद्या भारती संस्थान में शिक्षिका के रूप में कार्यरत है. बद्रीनाथ स्थित माणा गांव के नागरिकों को हथकरघा डिजाइन की कला सिखाकर उन्होंने स्थानीय लोगों को रोजगार उपलब्ध कराया. वह एक सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में जानी जाती है. वे कारपेट डिजाइन में भी विशेषज्ञ हैं.