विशाल समाचार टीम एमपी
रीवा: मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. बीएल मिश्रा अध्यक्षता में रीवा जिले के गोविन्दगढ़ ब्लाक के खजुहा एवं महसांव सेक्टर की 40 आशा कार्यकर्ता एवं आशा सहयोगिनी को प्रशिक्षण के माध्यम से राष्ट्रीय वैक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम अन्तर्गत मलेरिया, डेंगू, चिकनगुनिया रोग की रोकथाम, उपचार एवं निदान हेतु आवश्यक दिशा निर्देश प्रदान किये।
डॉ. मिश्रा ने बताया कि राष्ट्रीय वैक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम अन्तर्गत 5 बीमारियों सम्मिलित की गई है – मलेरिया, डेंगू , चिकनगुनिया जे.ई. फाइलेरिया एवं काला आजार। उन्होंने बताया कि मलेरिया- एनाफिलीज मच्छर के काटने से होता है । कारक प्लाज्मोडियम ( परजीवी ), मलेरिया में ठंड एवं कपकपी के साथ तेज बुखार , पसीना आकर बुखार उतरना , सिरदर्द एवं उल्टी होती है। एडीज मकर के काटने से डेंगू एवं चिकनगुनिया फैलता है , इसकी कोई स्पेसिफिक दबा टीका उपलब्ध नहीं है , मरीज को लाक्षणिक आधार पर चिकित्सकीय परामर्श द्वारा पूर्ण उपचार दिया जाता है । डेंगू तथा चिकनगुनिया के मरीज को दर्द निवारक गोली सेवन नही कराना चाहिये । उन्होंने बताया कि डेंगू में तेज बुखार , आखो के आस पास दर्द , मांसपेशियों एवं जोड़ों में दर्द , सिरदर्द , त्वचा पर लाल चकत्ते आते है।
फाइलेरिया एवं जापानीज इन्सेफेलाइटिस :- क्यूलेक्स मच्छर के काटने से फाइलेरिया एवं जापानीज इन्सेफेलाइजिस होता है। इसमें प्रभावित अंग की नियमित सफाई करने से बीमारी का प्रभाव कम हो जाता है। ये बीमारी ग्रामीण और कृषि क्षेत्रों में ज्यादा होती है। संक्रमित व्यक्ति में बीमारी के लक्षण 5-15 दिन में प्रकट होते हैं। यह मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी को प्रभावित करता है। इसका टीका उपलब्ध है।
फाइलेरिया हाथ पैरों में सूजन, अंगों जननांगों एवं स्तनों में सूजन, त्वचा मोटी एवं कठोर होना। जापानीज इन्सेफेलाइटिस में तेज बुखार, सिरदर्द, कमजोरी, गर्दन में आकड़न, भ्रम होना, झटके आना, पक्षाघात तथा काला आजार रोग लिशमानिया परजीवी के कारण होता है जो सेंड फलाई मक्खी के द्वारा फैलता है। उन्होंने बताया कि ठंड व कंपन के साथ बुखार जब आए तुरंत अपने गांव क आशा बहिन जी के पास जाकर खून की जांच अवश्य करायें। बुखार आने पर तुरंत रक्त की जांच कराए, मलेरिया की पुष्टि होने पर पूरा उपचार लें, खाली पेट दवा कदापि न लें, मलेरिया हेतु खून की जांच व उपचार सुविधा समस्त शासकीय अस्पतालों पर नि:शुल्क उपलब्ध है।
उन्होंने बताया कि छत पर पानी की खुली टंकियां, टूटे बर्तन, मंटके, कुल्हड़, गमलों में एकत्र जल में, बेकार फेके हुए टायरों में एकत्र जल में, कूलर में एकत्र जल में, किचन गार्डेन में रूका हुआ पानी, गमले, फूलदान, सजावट के लिए बने फब्बारे में एकत्र जल में।
डेंगू मलेरिया से बचाव के लिये क्या करें :- सोते समय मच्छरदानी का उपयोग आवश्यक रूप से करें। घर के आसपास के गढ्ड़ों को भर दें। पानी से भरा रहने वाले स्थानों पर टीमोफॉस, मिट्टी का तेल या जला हुआ इंजन ऑयल डालें। घर एवं आसपास अनुपयोगी सामग्री में पानी जमा न होने दें। सप्ताह में एक बार अपने टीन, डिब्बा, बाल्टी इत्यादि में पानी जमा न होने दें। सप्ताह में एक बार कूलर का पानी खाली कर दें, फिर सुखाकर ही उनका उपयोग करे। हैण्डपंप के पास पानी एकत्र न होने दें।
प्रशिक्षण के दौरान डॉ. मिश्रा ने स्वास्थ्य विभाग अंतर्गत संचालित हितग्राही मूलक योजनाओं टीकाकरण में समस्त गर्भवती महिलाओं एवं उनके परिवार जनों को टीका आवश्यक रूप से लगवाने हेतु आशा कार्यकर्ताओं को निर्देश दिये। गर्भवती महिलाओं का पंजीवन , हाई रिस्क का चिन्हांकन , समस्त गर्भवती महिलाओं को आयरन सुकोज का इंजेक्शन , टी. बी. रोगियों की जाँच , एमडीआर एवं सीडीआर का शत-प्रतिशत पोर्टल में इन्ट्री करवाये जाने हेतु निर्देशित किया। समस्त टी.बी. रोगियों को खोजकर शीघ्र इलाज प्रारंभ कराये ताकि 2024 तक टी.बी. मुक्त बनाया जा सके। समस्त गर्भवती महिलाओं की एचआईकी एवं सिफलिस की जॉच अनिवार्य रूप कराये जाने हेतु कहाँ गया। हेपेटाइटिस बी का इंजेक्शन इंजेक्शन लगवाये जाने के निर्देश प्रदान किये गये । समस्त गरीजों का हीमोग्लोबिन जॉब , डायबिटीज की अनिवार्य रूप से कराया जाय। समस्त गर्भवती महिलाओं को आयरन की गोली खिलाते . फोटोग्राफ वाट्सअप में सेयर करने को कहाँ गया। समस्त हितग्राहियों के आयुष्मान कार्ड बनवाये जाने के निर्देश प्रदान किये गये है। ताकि उनको आगे इलाज कराने में योजना का लाभ सहजतापूर्वक प्राप्त हो सके ।
प्रशिक्षण में जिला स्वास्थ्य अधिकारी 2 डॉ. एन. एन. मिश्रा, जिला मलेरिया अधिकारी डॉ. स्मिता नामदेव , जिला कुष्ठ अधिकारी डॉ. प्रदीप शुक्ला , जिला फाइलेरिया मेडिकल आफीसर डॉ. डी. एस. कपूर जिला कार्यक्रम प्रबंधक एनएचएम अर्पिता सिंह चौहान , जिला एम.एण्ड.ई. असि. अभिलाष कुमार शुक्ला , उपस्थित रहे ।