नाथ से दास हो गए शिंदे, कोई और बालासाहेब का नाम नहीं ले सकता, उद्धव ठाकरे की खुली चुनौती
शिवसेना की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में उद्धव ठाकरे ने दो टूक शब्दों में शिंदे पर हमला बोला। कहा कि शिंदे पहले नाथ थे अब दास हो गए हैं। कोई और बालासाहेब के नाम का इस्तेमाल नहीं कर सकता है।
Maharashtra political crisis: महाराष्ट्र में सीएम उद्धव ठाकरे और कभी उनके करीबी रहे एकनाथ शिंदे के बीच की लड़ाई अब सिर्फ सरकार बनाने और गिराने की नहीं ठाकरे विरासत पर आ गई है। एकनाथ शिंदे ने बागी विधायकों के साथ अपने गुट का नाम शिवसेना (बालासाहेब) कर दिया है। जिसने उद्धव ठाकरे को खुली चुनौती दे दी है। शिवसेना की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में उद्धव ठाकरे ने दो टूक शब्दों में शिंदे पर हमला बोला। कहा कि शिंदे पहले नाथ थे अब दास हो गए हैं। शिवसेना प्रमुख ठाकरे ने कहा कि कोई और बालासाहेब के नाम का इस्तेमाल नहीं कर सकता है।
महाराष्ट्र में शिवसेना की अंदरूनी लड़ाई अब विरासत की लड़ाई में पहुंच गई है। एकनाथ शिंदे का अपने गुट का नाम शिवसेना बालासाहब रखना उद्धव ठाकरे को चुनौती देने वाला है। उद्धव ठाकरे ने शिवसेना की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में शिंदे पर सीधा हमला बोला। कहा कि बालासाहब उनके पिता थे और उनके पिता का नाम कोई और इस्तेमाल नहीं कर सकता।
नाथ से दास हो गए शिंदे
बैठक में शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने कहा कि पहले शिंदे नाथ थे लेकिन अपनी ही पार्टी शिवसेना से भाजपा में मिलकर पार्टी को धोखा दे रहे हैं। इसलिए अब शिंदे नाथ से दास हो गए हैं। उन्होंने शिंदे को चुनौती दी कि अगर हिम्मत है तो अपनी पार्टी या गुट का नाम अपने पिता के नाम से रखो। चुनाव के वक्त अपने पिता के नाम पर वोट मांगने जाओ, देखते हैं तुम्हे कौन वोट देता है।
चुनाव आयोग जाएगी शिवसेना
शिवसेना की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में चार प्रस्ताव पास किए गए हैं। जिसमें से एक प्रस्ताव के तहत शिवसेना चुनाव आयोग जाएगी। शिवसेना आयोग में अपील करेगी कि कोई और बालासाेहब के नाम का इस्तेमाल नहीं कर सकता। अन्य प्रस्तावों में बागियों पर ऐक्शन उद्धव ही लेंगे। हिन्दुत्व और मराठी अस्मिता का प्रस्ताव पास हुआ। आखिरी प्रस्ताव में उद्धव ठाकरे के नेतृत्व पर भरोसा जताया गया है।
शिंदे गुट में भी बैठक
गुवाहाटी में कई दिनों से डेरा जमाए शिंदे गुट ने महाराष्ट्र के डिप्टी स्पीकर को अविश्वास प्रस्ताव ई-मेल के जरिए भेजा था। जिसे अस्वीकार कर दिया गया है। डिप्टी स्पीकर की तरफ से कहा गया है कि पत्र में हस्ताक्षर विधायकों के असली नहीं है। उधर, डिप्टी स्पीकर से झटका मिलने के बाद गुवाहाटी में शिंदे गुट ने आगे की रणनीति तय करने के लिए बैठक की।