जिला पदाधिकारी की अध्यक्षता में फसल अवशेष प्रबंधन हेतु जिला स्तर पर अन्तर्विभागीय कार्य समूह की बैठक आयोजित की गई
किसानों द्वारा मजूदरों के अभाव में फसलों विशेषकर धान / गेहूँ कटनी के उपरान्त फसल अवशेष खेतों में ही जला दिया जाता है जिससे फसल अवशेष को जलाने से मिट्टी, स्वास्थ्य तथा पर्यावरण पर प्रतिकूल असर पड़ता है। आहूत बैठक में जिलाधिकारी ने कहा कि इस संबंध में किसानों को जागरूक करने की आवश्यकता है। विभिन्न विभागों को इसमें सक्रिय सहयोग हेतु दायित्व निर्धारण किया गया है। आत्मा तथा कृषि विज्ञान केन्द्र द्वारा आयोजित होने वाली रबी कर्मशाला तथा किसान चौपाल में भी इसको प्राथमिकता के आधार पर प्रचार-प्रसार करने हेतु जिला पदाधिकारी द्वारा निदेश दिया गया।
स्वास्थ्य विभाग को निर्देश
फसल अवशेष को जलाने से छोटे बच्चों को सांस लेने में कठिनाई आँख, नाक तथा गला में जलन सहित अन्य बिमारियों की संभावना के बारे में सिविल सर्जन सीतामढ़ी को निदेशित किया गया कि ए०एन०एम० एवं आशा कार्यकर्त्ता के माध्यम से इस संबंध में लोगों को जागरूक करने हेतु निदेश दिया गया।
शिक्षा विभाग
को फसल अवशेष नही जलाने के संबंध में छात्र-छात्राओं के बीच वाद-विवाद प्रतियोगिता तथा चित्रकला के माध्यम से जागरूक करने हेतु जिला पदाधिकारी द्वारा निदेश दिया गया।
जीविका के द्वारा भी किसानों को जागरूक किया जाय*
प्रखण्डों में कार्यरत जिविका दीदी तथा मनरेगा कार्यकर्त्ताओं द्वारा इस संबंध में जागरूक करने की आवश्यकता पर बल दिया गया।
*पशु एवं मत्स्य विभाग के दायित्व*
पशु एवं मस्त्य विभाग में कार्यरत कर्मियों द्वारा फसल कटनी के पश्चात फसल अवशेष को पशुओं को चराने हेतु किसानों को जागरूक करने हेतु जिला पशुपालन पदाधिकारी को निदेश दिया गया।
पैक्सो के द्वारा भी किसानों को लगातार जागरूक किया जाय
जिला सहकारिता पदाधिकारी द्वारा प्रखण्डों में कार्यरत पैक्सों तथा प्रखण्ड सहकारिता पदाधिकारियों को इस संबंध में व्यापक प्रचार-प्रसार तथा किसानों को जागरूक करने हेतु निदेश दिया गया।
फसल अवशेष प्रबंधन में निर्वाचित जनप्रतिनिधियों की अहम भूमिका
फसल अवशेष प्रबंधन में निर्वाचित जनप्रतिनिधियों की अहम भूमिका है। निर्वाचित त्रिस्तरीय पंचायती राज के जनप्रतिनिधियों का किसानों को जागरूक करने हेतु मुख्य सहभागिता है। निर्वाचित जनप्रतिनिधियों द्वारा अपने-अपने क्षेत्र में किसानों के बीच फसल जलाने के पश्चात उत्पन्न प्रतिकूल प्रभाव के बारे में भी जागरूक करने की आवश्यकता है। जिला पदाधिकारी द्वारा जिला पंचायती राज पदाधिकारी को इस संबंध में निर्वाचित जनप्रतिनिधियों की एक बैठक आयोजित करने हेतु निदेश दिया गया। जिला कृषि पदाधिकारी द्वारा बताया गया कि फसल अवशेष प्रबंधन के तहत 21 प्रकार के कृषि यंत्रों पर सरकार द्वारा अनुदान की व्यवस्था की गई है जिसमें मुख्यतः स्ट्रा रीपर, सुपर सीडर, हैप्पी सीडर, रीपर कम बाईण्डर, ब्रश कटर, जिरोटिलेज इत्यादि सम्मिलित है। जिला पदाधिकारी द्वारा निदेश दिया गया कि बिना अनुमति के कम्बाईन हार्वेस्टर परिचालन नही किया जायेगा। कम्बाईन हार्वेस्टर से कटाई हेतु संचालनकर्त्ता को जिला कृषि पदाधिकारी से अनुमति प्राप्त करना होगा। साथ ही संचालनकर्त्ता को एक शपथ पत्र देना होगा कि फसल कटाई के पश्चात फसल अवशेषों को नही जलायेगें ।
पराली जलाने पर होगी कारवाई
जिला पदाधिकारी द्वारा निदेश दिया गया कि अगर किसी किसान द्वारा अपने खेतों में फसल अवशेष जलाया जाता है तो उनके किसान पंजीकरण को स्थगित कर दिया जायेगा तथा 3 साल के लिए ऐसे किसानों को कृषि विभाग के किसी भी योजना का लाभ नही दिया जायेगा। जिला पदाधिकारी द्वारा यह भी निदेश दिया गया कि जिला कृषि पदाधिकारी प्रखण्डों / पंचायतों में कार्यरत कृषि कर्मियों को इस संबंध में सतत निगरानी रखने हेतु निदेश देना सुनिश्चित करेगे।
जिला पदाधिकारी द्वारा यह भी निदेश दिया गया कि प्रखण्डो / पंचायतों में फसल अवशेष जलाने की सूचना प्राप्त होती है तो तत्काल संबंधित कर्मी द्वारा इसकी सूचना जिला कृषि पदाधिकारी को देना सुनिश्चित करेगे ।
बैठको में अपर समाहर्ता (प्रभारी आपदा), जिला सहकारिता पदाधिकारी, जिला शिक्षा पदाधिकारी, जिला पंचायती राज पदाधिकारी, सिविल सर्जन, जिला पशुपालन पदाधिकारी, जिला कृषि पदाधिकारी सहित अन्य पदाधिकारियों ने भाग लिया।