शीर्षक -चंद्रग्रहण की मिथक और विज्ञान: लेखक प्रवीण मांगलिया
Sanchore Rajsthan
ऐसी मान्यताए है की पूर्णिमा की रात जब राहु और केतु चन्द्रमा को निगलने की कोशिश करते है तब चंद्रमा पर गृहण लगता है। गृहण काल मे हर जगह आसुरी शक्तियाँ का प्रभाव काफी बढ जाता है। जिससे देवताओ की शक्तियाँ कम होने लगती है।
इस समय विभिन लोकमान्यताए अपने-अपने मिथकों को लोगो के सामने परोसती है जो कुछ इस प्रकार है-
1 आपने सुना होगा इस समय हमे लोग स्नान करने से रोकते है तथा कहते है की स्नान गृहण के बाद ही करना ताकी सारी नकरात्मक उर्जा शरीर से बाहर निकल जाये।
2 एक और मिथक जिसके अनुसार हमे गृहण के समय भोजन नहीं करना चाहिये क्योकिं इस समय भोजन को अतिरिक्त पराबैगनी किरणे तथा कॉस्मिक किरणे दूषित कर देती है।
3 इस समय सोने की शक्त पाबंदी होती है । भले ही कोई बेचारा तीन चार दिन से ना सोया हो।
4 गर्भवती महिलाओं के लिए यह एक अपशकून माना जाता है जिस दरम्यान इन्हे सब्जिया काटने तथा कपडे सिलने की मनाही होती है।
यह सभी लोकमान्यताए वैज्ञानिक दृष्टिकोण से परे है अपितु वैज्ञानिक तो यह कहते है की चंद्रग्रहण पूर्णत: सुरक्षित है।तथा इस समय कोई भी व्यक्ति बिना किसी डर के पिंडो की गति का अवलोकन तथा अन्य कार्यो को बेझिझक आनंद के साथ कर सकता है।
अन्त मे आप सबको यही कहना चाहूँगा की हमे इन मिथको से दूर रहकर इनके पीछे के वैज्ञानिक रहस्यो को उद्घाटित करना चाहिये।