*जिस दिन हम ये समझ जायेंगे की सामने वाला गलत नहीं हैं सिर्फ उसकी सोच हमसे अलग हैं*
*उस दिन जीवन से दुःख समाप्त हो जायेंगे “बड़प्पन” वहा गुण हैं जो पद से नहीं संस्कारों से प्राप्त होता हैं।**हर कोई चंदन तो नहीं कि* *जीवन “सुगन्धित” कर सके।*
*कुछ नीम के पेड़ भी होते हैं ,*
*जो सुगन्धित तो नहीं करते पर* *काम बहुत आते है ।।**इस तरह मुस्कुराने की*
*आदत डालिये कि ..!*
*परिस्थिति भी आपको परेशान*
*कर – कर के थक जाए …!!*
*और जाते जाते जिंदगी भी*
*मुस्कुरा कर बोले …!!!*
*आप से मिल कर खुशी हुई …!!*जीवन का मूल तत्व ही प्रश्न वाचक चिन्ह है अगर उसमें पूर्ण विराम लग गया तो जीवन अर्थ विहीन है।
सुधा भदौरिया
लेखिका विशाल समाचार
ग्वालियर मध्यप्रदेश