रात्रि चौपाल लगाकर चमकी को मिल रही है कड़ी धमकी
-जिलाधिकारी सुनील कुमार यादव ने रुन्नीसैदपुर के हरिजन प्राथमिक विद्यालय,मेहसौल में रात्रि चौपाल में चमकी से निपटने को लेकर लोगो को किया जागरूक
सीतामढी बिहार: जेई एवम एईएस (चमकी बुखार) से निपटने एवम जिला को चमकी मुक्त करने को लेकर जिलाधिकारी ने अपने प्रयासों को गति देते हुए रात्रि चौपाल लगाकर चमकी को और भी कड़ी धमकी देना शुरू किया है। जिलाधिकारी* सुनील कुमार यादने ने रुन्नीसैदपुर के हरिजन प्राथमिक विद्यालय,मेहसौल में रात्रि चौपाल के द्वारा चमकी से निपटने एवम उसे कड़ी धमकी देने हेतु अपने प्रयास को काफी गति दे दी है। गौरतलब हो कि कल सोमवार को जिले के मुखियाजी को चौपाल लगाकर लोगो को जागरूक करने की जबाबदेही दी गई थी। इसी के तहत जिलाधिकारी ने स्वयं पहल करते हुए रुन्नीसैदपुर में आयोजित चौपाल में शामिल हुए। उन्होंने कहा कि व्यापक जागरूकता एवम ससमय इलाज के द्वारा हम पूर्ण रूप से चमकी को नियंत्रित कर सकते है।उन्होंने बताया कि विद्यालयो में बच्चों को चेतना सत्र में चमकी को लेकर क्या करें एवम क्या नही करे कि नियमित रूप से जानकारी दी जा रही है। आंगनबाड़ी सेविका/सहायिका, आशा एवम जीविका दीदियां अपने-अपने क्षेत्र में व्यापक जागरूकता कर रही है। सभी अस्पतालों में चमकी बुखार को लेकर बेड सुरक्षित है। उन्होंने कहा कि वरीय अधिकारियों की टीम को इसकी मोनिटरिंग की जबाबदेही दी गई है। एम्बुलेंस के अतिरिक्त मुख्यमंत्री ग्राम परिवहन योजना के लगभग 1100 वाहनों को भी टैग किया गया है,जिसपर वाहन चालक का मोबाइल नंबर भी लिखा है। चौपाल में मस्तिष्क ज्वर को लेकर प्रभारी पदाधिकारी डॉ आरके यादव ने विस्तृत रूप से जानकारी दी।उन्होंने कहा कि एक गंभीर बीमारी है जो ससमय इलाज से ठीक हो सकता है। अत्यधिक गर्मी एवं नमी के मौसम में यह बीमारी फैलती है। 1 से 15 वर्ष तक के बच्चे इस बीमारी से ज्यादा प्रभावित होते हैं।
*मस्तिष्क ज्वर के लक्षण*
सर दर्द, तेज बुखार आना जो पांच 7 दिनों से ज्यादा का ना हो।
पूरे शरीर या किसी खास अंग में लकवा मार देना या हाथ पैर का अकड़ जाना।
बच्चे का शारीरिक एवं मानसिक संतुलन ठीक ना होना।
शरीर में चमकी होना अथवा हाथ पैर में थरथराहट होना।
अर्थ चेतना एवं मरीज में पहचानने की क्षमता नहीं होना/ भ्रम की स्थिति में होना /बच्चे का बेहोश हो जाना आदि प्रमुख लक्षण है। *उन्होंने कहा कि सबसे महत्वपूर्ण है कि मरीज को ससमय चिकित्सा उपलब्ध करवाना। चिकित्सीय परामर्श में विलंब के कारण* *मरीज की* *स्थिति गंभीर हो सकती है*।
सामान्य उपचार एवं सावधानियां
अपने बच्चों को तेज धूप से बचाए, गर्मी के दिनों में बच्चों को ओआरएस अथवा नींबू,पानी, चीनी का घोल पिलाएं,
रात में बच्चों को भरपेट खाना खिला कर ही सुलाएं,
अपने बच्चों को दिन में दो बार स्नान कराएं।
क्या करें
तेज बुखार होने पर पूरे शरीर को ताजे पानी से पोछे एवं पंखा से हवा करें ताकि बुखार 100 डिग्री से कम हो सके,
चमकी आने की दशा में मरीज को बाएं या दाएं करवट में लिटा कर ले जाए,
बच्चे के शरीर से कपड़े हटा ले एवं गर्दन सीधा रखें,
अगर मुंह से लार या झाग निकल रहा हो तो साफ कपड़े से पोछे, जिससे कि सांस लेने में कोई दिक्कत ना हो,
तेज रोशनी से बचाने के लिए मरीज की आंखों को पट्टी या कपड़े से ढके,
यदि बच्चा बेहोश नहीं है तब साफ एवं पीने योग्य पानी में ओ आर एस का घोल बनाकर पिलाएं।
क्या ना करें
बच्चे को खाली पेट लीची या फल ना खिलाए, अधपके अथवा कच्चे लीची या फल के सेवन से बचें,
बच्चे को कंबल या गर्म कपड़े में ना लपेटे,
बच्चे की नाक बंद नहीं करें,
बेहोशी/ मिर्गी की अवस्था में बच्चे के मुंह से कुछ भी ना दे,
बच्चे का गर्दन झुका हुआ नहीं रखें,
चुकीं यह दैविक प्रकोप नहीं है बल्कि अत्यधिक गर्मी एवं नमी के कारण होने वाली बीमारी है अतः बच्चे के इलाज में ओझा गुनी में समय नष्ट ना करें,
मरीज के बिस्तर पर ना बैठे तथा मरीज को बिना वजह तंग ना करें,
ध्यान रहे कि मरीज के पास शोर ना हो और शांत वातावरण बनाए रखें.